भारत में बनी एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल! हिमाचल, दिल्ली-चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित तमाम राज्यों को होगा फायदा
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भारत में बनी एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल! हिमाचल, दिल्ली-चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित तमाम राज्यों को होगा फायदा

Himachal News: भारत में बनी एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल, हिमाचल, UT दिल्ली-चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित उत्तर भारत के तमाम राज्यों को होगा फ़ायदा. हिमाचल के कुल्लू में पार्वती दो परियोजना में 31.5 KM की वॉटर टनल का काम पूरा.

भारत में बनी एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल! हिमाचल, दिल्ली-चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित तमाम राज्यों को होगा फायदा

Mandi News: देश के बिजली उत्पादक प्रदेश हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल अब तैयार हो चुकी है. बिजली उत्पादन के लिए बनाई जा रही पार्वती परियोजना के दूसरे चरण की अंतिम बाधा को 25 साल की कड़ी मेहनत के बाद पार कर लिया गया है. 

कुल्लू से मणिकरण घाटी के बरशेनी से पार्वती नदी का पानी दुर्गम क्षेत्र सैंज घाटी के सिउंड तक लाने के लिए बनाई जा रही हेडरेस टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया है. यह एशिया की सबसे लंबी वाटर टनल है, जिसकी लंबाई 31.5 किलोमीटर है. यह छह मीटर चौड़ी है. मणिकर्ण घाटी के पूलगा से इस टनल की खुदाई शुरू हुई थी. 

दो दशकों के इंतजार के बाद पार्वती प्रोजेक्ट चरण दो में भी जल्‍द ही बिजली उत्पादन होने की आस जगी है. टनल की अंतिम खुदाई पूरी हो चुकी है और अब सिर्फ लाइनिंग का काम शेष बचा है. पार्वती प्रोजेक्ट चरण दो के तैयार होने से हिमाचल ही नहीं बल्कि देश की राजधानी, UT चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित उत्तर भारत के तमाम राज्यों को होगा फ़ायदा मिलेगा. यानी यह राज्यों और UT में बिजली की कमी को यह पूरा करने में अहम रोल अदा करने वाला है.

जी मीडिया की टीम ने NHPCL के एक्षकूटिव डिरेक्टर निर्मल सिंह से एक्सकूलसिव बातचीत की है. निर्मल सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बिजली उत्पादन के लिए बनाई जा रही पार्वती परियोजना के दूसरे चरण की अंतिम बाधा को बहुत चुनौतियों के बाद भी पार कर लिया गया है. 

1999 में अटल बिहारी ने इस टनल की नींव रखी थी. 25 साल पहले मणिकर्ण घाटी के पूलगा से टनल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन बीच में कई बाधाओं का भी परियोजना प्रबंधन को सामना करना पड़ा. जिसके चलते इसके निर्माण कार्य में भी काफी देरी हुई है. 2002 में सही तौर पर काम शुरू हो पाया. इस कार्य को सात साल में पूरा करना था, लेकिन कई समस्या के चलते देरी हुई, पिछले वर्ष सितम्बर में खुदाई का कार्य पूरा कर पाए हैं और अभी फाइनल वर्क की ओर बढ़ रहे है और इसी वर्ष दिसम्बर में पूरा कर लिया जाएगा. 

3124 मिलियन यूनिट बिजली होगी तैयार, जो हिमाचल सहित देश की राजधानी, UT चंडीगढ़ , छत्तीसगढ़ सहित उत्तर भारत के तमाम राज्यों को दी जाएगी. बिजली तैयार होने से पहले ही नोर्थ इंडिया के तमाम राज्यों और UT के साथ पांच वर्ष का PPA कर लिया गया है.

स्टोरी बाई- संदीप सिंह, कुल्लू

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