हिमाचल प्रदेश के ट्रक ऑपरेटर्स ने सरकार से कहा, Adani group को न दें फायदा
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हिमाचल प्रदेश के ट्रक ऑपरेटर्स ने सरकार से कहा, Adani group को न दें फायदा

Bilaspur news: सीमेंट कंपनी बरमाणा प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच माल ढुलाई भाड़े को लेकर चल रहे विवाद मामले में कल एक बैठक होगी, जिसमें माल ढुलाई भाड़े का रेट तय करने पर चर्चा होगी. 

हिमाचल प्रदेश के ट्रक ऑपरेटर्स ने सरकार से कहा, Adani group को न दें फायदा

विजय भारद्वाज/बिलासपुर: बिलासपुर के बरमाणा स्थित सीमेंट कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच माल ढुलाई भाड़ा को लेकर चले विवाद के बाद जहां 15 दिसंबर से सीमेंट प्लांट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है वहीं, अब इस प्लांट को बंद हुए करीब 29 दिन होने वाले हैं, लेकिन अभी तक सीमेंट प्लांट खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. 

हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से कल होगी बैठक
वहीं, सीमेंट कंपनी प्रबंधन के अड़ियल रवैये के चलते ट्रक ऑपरेटर्स और अलग-अलग यूनियन के सदस्य सड़कों पर उतरकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. अब सीमेंट कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच चल रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए 12 जनवरी को प्रदेश सरकार की ओर से एक बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कंपनी प्रबंधन और विभिन्न यूनियन के सदस्य शामिल लेंगे. इस दौरान माल ढुलाई भाड़े का रेट तय करने पर चर्चा होगी. 

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क्या है ट्रक ऑपरेटर्स की मांग?
वहीं, चौथे फेज में आयोजित इस बैठक को बीडीटीएस बरमाणा के चेयरमैन लेखराम वर्मा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रदेश सरकार ट्रक ऑपरेटर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए माल भाड़े को लेकर उचित कीमत तय करेगी ताकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच ट्रक ऑपरेटर्स को भी कुछ लाभ मिल सके और माली हालत से गुजर रहे इन ऑपरेटर्स को किराए की सही कीमत मिल सके. 

सरकार को दी चेतावनी
उन्होंने कहा कि इन सभी के लिए ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन द्वारा सरकार को सभी दस्तावेज उपलब्ध करवा दिए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने को लेकर निर्णय लेगी तो ट्रक ऑपरेटर्स लगातार अपना प्रदर्शन जारी रखेगें. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाएंगी तब तक वे सड़कों पर धरना दिए बैठे रहेंगे. 

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यह है पूरा मामला
बता दें, ट्रक ऑपरेटर्स का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन द्वारा पहले उन्हें मल्टी एक्सल गाड़ियां लेने को कहा गया और फिर जब ऑपरेटर्स ने इन्हें फाइनेंस पर खरीदा तो कंपनी प्लांट ही बंद कर दिया, जिससे वह न तो गाड़ी की किस्त दे पा रहे हैं और न ही अपना गुजारा कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की है.

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