HRTC: हिमाचल प्रदेश में 15 हजार कर्मियों को सैलरी नहीं मिली रही है. ऐसे में सीएम सुक्खू ने कहा कि HRTC कर्मचारियों को सैलरी का सरकार जल्द भुगतान करेगी.
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समीक्षा कुमारी/शिमला: हिमाचल प्रदेश में 15 हजार कर्मियों को सैलरी नहीं मिली रही है. इस पर सियासत गर्मा गई है. ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि ये षड्यंत्र किया जा रहा है. बता दें, हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम, मेडिकल कॉलेज, वन निगम, श्रम एवं रोजगार, और जल शक्ति विभाग के कर्मचारियों को अब तक सैलरी नहीं मिली है. जिसके कारण सभी परेशान हैं और सरकार से इसे लेकर अपील कर रहे हैं.
All Govt employees of Himachal Pradesh are getting paid well on time as per the schedule . A manipulated campaign is being run from Delhi to malign the image of Himachal Pradesh.
No media/news channel in Himachal is aware of any such developments, wonder who is spreading these…
— Sukhvinder Singh Sukhu (SukhuSukhvinder) June 14, 2023
इसे लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने विपक्ष पर सरकार को बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि HRTC कर्मचारियों को सैलरी का सरकार जल्द भुगतान करेगी. हालांकि मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सैलरी को लेकर आदेश दे दिए गए हैं.
सुक्खू ने कहा कि HRTC के कर्मचारियों को हमेशा ही 17-18 तारीख को ही सैलरी मिलती रही है. पूर्व भाजपा सरकार ने HRTC कर्मियों को 3 साल तक ओवर टाइम और रात्रि भत्ते का भुगतान नहीं किया. उनकी सरकार ने इसका भुगतान किया है. यह कहना गलत है कि हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है. हिमाचल प्रदेश की छवि खराब करने पर दिल्ली से षड्यंत्र किया जा रहा है.
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कर्मचारियों का कहना है की covid के बाद उन्हें नियमित रूप से कभी सैलरी नहीं मिली. कोरोना के बाद सैलरी को लेकर कर्मचारियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही है उन्होंने कहा कि सैलरी की कोई तारीख तय नहीं की गई है. जबकि कोरोना से पहले कभी सैलरी इतनी लेट नहीं हुई, अब सरकार को बार-बार हम कह रहे हैं कि हमारी सैलरी 1 तारीख को समय पर दी जाए. अन्यथा हम सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने पर मजबूर होंगे. कर्मचारियों ने कहा समय पर सैलरी न मिलने के चलते घर परिवार पर आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है.
वहीं, विपक्ष नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, "वर्तमान सरकार की हालत अब सबके सामने है. केवल 6 महीनों में ही सरकार ने 7,000 करोड़ रूपए का कर्ज ले लिया. कर्मचारियों का वेतन या अन्य डेवलपमेंट के बिल या पेमेंट अब बंद होने की हालत में पहुंच गए हैं. सरकार व्यवस्था बदलने की बात कहती है, लेकिन ऐसी अव्यवस्था कभी नहीं देखी गई है, नेता प्रतिपक्ष ने कहा की मुख्यमंत्री का कुप्रबंधन 6 महीने में दिख गया.