Ayurveda: पंडोह में क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के सहायक निदेशक डॉ. राजेश सण्ड ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की 100 दिनों की उपलब्धियों पर तहसील स्तर तक आयुर्वेद को पहुंचाने के लिए खोले जाएंगे संस्थान.
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Mandi News: भविष्य में आपको आयुर्वेदिक उपचार में भी स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा. इसके लिए केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने अपने प्रयास तेज कर दिए है. यह जानकारी क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पंडोह के सहायक निदेशक डॉ. राजेश सण्ड ने केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की 100 दिनों की उपलब्धियों पर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दी.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के तहत 170 पैकेज शामिल करने के लिए समिति का गठन कर दिया गया है. भविष्य में इसे हरी झंडी मिलते ही आयुर्वेदिक संस्थानों में इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने इस क्षेत्र में दवाओं की गुणवत्ता में सुधार के बड़े उद्देश्य के साथ ’’वन हर्ब, वन स्टैंडर्ड’’ पहल को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे हर्बल दवाओं का मानकीकरण करके पूरे भारत में फार्मास्यूटिकल्स की प्रभावकारिता और सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉ. राजेश सण्ड ने बताया कि आयुष मंत्रालय का इरादा हर तहसील स्तर पर आयुर्वेद मेडिकल स्टोर खोलने का है. ताकि नीचले स्तर तक सभी को आयुर्वेद के साथ जोड़ा जा सके और उपचार की इस प्राचीन पद्धति का लाभ पहुंचाया जा सके. लोगों में आयुर्वेद और योग के उत्थान को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ मंत्रालय द्वारा हर घर आयुर्वेद पहल शुरू की गई है. इसके तहत फिट इंडिया स्कूल प्रमाणन में योग को मुख्य रूप से शामिल करना है.
भारत का प्रकृति परिधि अभियान इस पहल के मूल में होगा और देश भर में हितधारकों को शामिल करने के लिए व्यापक रोडमैप तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि 100 दिनों में 10 हजार के मुकाबले 14 हजार से ज्यादा आयुष शिविरों का आयोजन किया गया है.
डॉ. राजेश सण्ड ने बताया कि आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 31 जुलाई 2024 को जिनेवा स्थित मुख्यालय में एक डोनर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के साथ काम करने और वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुष प्रणालियों के एकीकरण में सुधार के लिए भारत के समर्पण को प्रदर्शित करता है. यह सहयोग एक मजबूत नींव के साथ साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा प्रदान करेगा.
रिपोर्ट- नितेश सैनी, मंडी