Naina Devi Mandir: बिलासपुर स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखने को मिली है. श्रद्धालुओं का एक जत्था पंजाब के धुरी से पेट के बल चलकर श्री नैनादेवी मंदिर पहुंचा. यह जत्था करीब 180 किमी का सफर तय कर नैनादेवी मंदिर पहुंचा है.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपनी आस्था व संस्कृति के लिए विश्वभर में जाना जाता है. यहां के मठ मंदिरों व शक्तिपीठों पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं की अपार आस्था है. ऐसा ही एक नजारा बिलासपुर स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में तब देखने को मिला जब पंजाब के धुरी से भक्तों का एक जत्था पेट के बल चल कर श्री नैनादेवी मंदिर पहुंचा है.
बता दें, श्रद्धालुओं का यह जत्था करीब तीन दिन से दिन-रात चलते हुए 180 किलोमीटर का सफर तय करके माता रानी के दरबार पहुंचा है. एक ओर 52 शक्तिपीठों में शुमार मां नैनादेवी के दरबार में भक्तों की अपार आस्था बनी हुई है, वहीं समय-समय पर माता रानी के भक्तों की अनूठी भक्ति के दर्शन भी होते हैं.
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बता दें, बिलासपुर स्थित विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में यह आस्था का अनोखा रंग देखने को मिला है, जिसमें पंजाब के धुरी से 65 के करीब श्रद्धालु पेट के बल चलकर नैना देवी मंदिर पहुंचे हैं. हालांकि इन भक्तों को रास्ते में तप-तपाती सड़कें, पत्थरीले पहाड़ मिले, लेकिन माता रानी के प्रति इनकी अपार भक्ति जरा सी भी नहीं डगमगाई और 180 किलोमीटर का सफर तय करते हुए ये भक्त माता रानी के दरबार जा पहुंचे.
इन श्रद्धालुओं का कहना है कि वे हर वर्ष धुरी महावीर मंदिर से यह यात्रा लेकर मां नैनादेवी के दरबार पहुंचते हैं. माता रानी ही उन्हें इस प्रकार की कठिन यात्रा करने के लिए शक्ति देते हुए उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, इसलिए वह हर साल इस यात्रा में शामिल होते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह यात्रा दिन रात चलती रहती है. जब वे तीसरे दिन माता के दरबार में पहुंचते हैं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता. इसके बाद वह माता रानी के दरबार में जमकर भजन और भेंटे गाते हैं और माता रानी का आशीर्वाद लेकर खुशी-खुशी अपने घरों को लौट जाते हैं.