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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपनी संस्कृति व मठ-मंदिरों के लिए विश्वभर में जाना जाता है. हिमाचल प्रदेश की ऊंची पहाड़ियों में ना जाने कितने ही प्राचीन मंदिर व शक्तिपीठ विद्यमान है. जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु नत मस्तक होने पहुंचते हैं. ऐसा ही एक शक्तिपीठ है मां नैनादेवी का दरबार है, जहां माता सती के नयन गिरे थे.
बिलासपुर की ऊंची पहाड़ियों पर बसे इस शक्तिपीठ का नाम नैनादेवी क्यों पड़ा इसके बारे में सभी को अवगत होगा, मगर आज हम आपको बताएंगे इस शक्तिपीठ से जुड़ी एक और महान गाथा. शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर के समीप बना है कपाली कुंड जिसका संबंध एक खतरनाक राक्षस महिषासुर से है.
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प्राचीन मान्यता अनुसार देवताओं व राक्षसों के बीच युद्ध हुआ, तो महिषासुर ने हर जगह तबाही मचाना शुरू कर दिया, जिसपर सभी देवताओं ने इकट्ठा होकर अपनी शक्तियों को एकजुट कर मां भगवती श्री नैनादेवी को शस्त्र प्रदान किये और मां नैनादेवी ने महिषासुर का वध कर उसका कपाल यानी सिर धड़ से अलग कर दिया और महिषासुर की इच्छा पर उसके कपाल को मंदिर के समीप ही दफन कर दिया, तभी से इस कुंड को कपाली कुंड से नाम से जाना जाता है. वहीं मंदिर न्यास द्वारा इस कुंड को पानी से भरा जाता है ताकि जो भी श्रद्धालु माता नैनादेवी के दर्शनों के लिए आता है वह पहले इस कुंड में स्नान करे ताकि उसके सभी दुख दूर हो जाएं और माता नैनादेवी का आशीर्वाद प्राप्त कर सके.
वहीं कुछ सालों से कुंड के जीर्णोद्धार के चलते इसमें पानी नहीं भरा जाता है. वहीं नैनादेवी मंदिर के पूजारी प्रदीप शर्मा व दीपक भूषण शर्मा ने कहा कि कपाली कुंड का अपना प्राचीन महत्व है. इस कुंड में जहां माता नैनादेवी ने राक्षस महिषासुर का वध कर उसका कपाल दफन किया था, तो वहीं इस कुंड में स्नान करने से किसी श्रद्धालु पर बुरी आत्माओं का प्रभाव, जादू टोना व महिलाओं का बांझपन दूर हो जाता है और उनकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है.
वहीं, श्रद्धालु द्वारा इस कुंड में स्नान करने के पश्चात मां नैनादेवी के दर्शन करने से माता रानी खुश हो जाती है और उनकी कृपा हमेशा भक्त पर बनी रहती है. साथ ही उन्होंने बताया कि कपाली कुंड का जीर्णोद्धार किया जा रहा है और फवारा व टाइलें लगाकर इसका सौन्दर्यकरण किया जाएगा, जिसके बाद इस कुंड को दुबारा पानी से भरकर सरोवर का रूप प्रदान किया जाएगा ताकि श्रद्धालु पहले की भांति इस सरोवर में स्नान कर अपने दुखों को दूर कर सकें और माँ नैनादेवी का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना पूरी कर सके.
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