Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में एक ऐसा गांव है जहां आज भी सड़क सुविधा नहीं है. यहां आज भी लोग कोई भी सामान पीठ पर ही लादकर लाते- ले जाते हैं. इस गांव के लोग पिछले कई वर्षों से सड़के सुविधा की मांग कर रहे हैं.
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ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: सिरमौर जिला में शिलाई विधानसभा क्षेत्र के कुनेर गांव के लोग आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. यहां सड़क की डीपीआर बनने के 7 साल बाद भी फाइल आगे नहीं बढ़ पाई है. सड़क न होने की वजह से लोग आज भी सामान पीठ पर लाद कर घर ले जाते हैं. इस गांव की एक बच्ची और उसकी बुजुर्ग दादी का पथरीला खतरनाक पैदल मार्ग पार करते हुए का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि इस पथरीले और खतरनाक रास्ते पर चलना उनकी मजबूरी बन गई है. सरकार, प्रशासन और जिम्मेदार विभाग यहां लोगों को एक अच्छी सड़क मुहैया तक नहीं करवा पाया है, जिसकी वजह से यहां लोगों को हर रोज लगभग 7 किलोमीटर पैदल चलकर घर से सड़क और सड़क से घर तक जाना पड़ता है. घर में जरूरत का सामान भी इसी तरह सर पर और पीठ पर लाद कर लाना ले जाना पड़ता है. बच्चे भी इसी खतरनाक रास्ते से स्कूल आते-जाते हैं. इन्हीं तमाम दुश्वारियां की वजह से कई लोग गांव छोड़कर दूसरे स्थान पर रहने को मजबूर हुए हैं.
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ग्रामीणों ने बताया कि सबसे ज्यादा मुसीबत तब होती है जब गांव में कोई बच्चा या बड़ा बीमार हो जा तो उसे भी पीठ पर या गोदी में उठाकर सतोन कस्बे तक पहुंचाना पड़ता है. रास्ते में तेंदुए जैसे खुंखार जंगली जानवरों का भी डर लगा रहता है. धूप और बारिश में बीमारी होने पर परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है, सरकार और प्रशासन को इनकी लाचारी नजर नहीं आती.
उन्होंने बताया कि कुनेर गांव के बच्चे पढ़ाई के लिए भी इसी पथरीले, खतरनाक रास्ते से होकर स्कूल पहुंचते हैं. इन बच्चों को रोजाना 5 से 6 किलोमीटर एक तरफ पैदल रास्ता तय करना होता है. बच्चे स्कूल जाते हैं तो माता-पिता रास्ते में उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन को उनकी चिंता हो, ऐसा कभी नजर नहीं आया.
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हालांकि इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की सरकारी योजना तैयार हो चुकी है, लेकिन पिछले 7 वर्षों से फाइल सरकारी अलमारी में ही बंद है. ग्रामीणों ने कहा कि वे हर स्तर पर उनके अधिकार की आवाज उठाते हैं, लेकिन उनकी आवाज ना कारखाने में तूती बनकर रह जाती है.
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