Kangra Chai: अप्रैल महीने में 'कांगड़ा चाय' के उत्पादन में उछाल देखने को मिली है. इस माह में लगभग 1.78 लाख किलो तक चाय की पैदावार हुई है. यह आंकड़ा साल 2021 और 2022 के मुकाबले काफी अधिक है.
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विपन कुमार/धर्मशाला: अपनी अनोखी महक और स्वाद के लिए डिमांड में रहने वाली 'कांगड़ा टी' का उत्पादन इस बार काफी अच्छा हुआ है. पिछले दो साल के मुकाबले इस साल इसकी पैदावार का आंकड़ा काफी अधिक रहा है. जानकारी के अनुसार, साल 2023 के अप्रैल माह में कुल 1 लाख 78 हजार किलो चाय का उत्पादन हुआ है. यह निश्चित तौर पर चाय उद्योग के लिए प्रोत्साहन का विषय है, क्योंकि अप्रैल में कांगड़ा चाय के दाम भी अच्छे मिलते हैं.
इस साल बढ़ सकता है कांगड़ा चाय के उत्पादन का ग्राफ
वहीं, टी बोर्ड ऑफ इंडिया पालमपुर अधिकारी अभिमन्यू शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि अप्रैल में जहां बड़े चाय उत्पादकों ने 1.70 लाख किलो की पैदावार की है, वहीं छोटे उत्पादकों ने भी 8,000 किलो का उत्पादन किया है. अप्रैल में कांगड़ा चाय का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही इस वर्ष चाय के कुल उत्पादन का ग्राफ बढ़ने की संभावना भी बन गई है.
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1500 रुपये किलो के भाव पर बेची गई कांगड़ा चाय
उन्होंने कहा कि अगर अप्रैल माह में मौसम का पूरा साथ मिलता तो इस साल तोड़ चाय की पैदावार का आंकड़ा इससे भी ऊपर जा सकता था. इस बार चाय उत्पादकों को कोलकाता में अच्छे दाम मिले हैं और 1500 रुपये किलो तक चाय बिकी है. वहीं, टी बोर्ड के प्रोत्साहन से छोटे चाय उत्पादकों ने भी अमृतसर की जगह कोलकाता मार्केट का रुख किया और उनकी चाय को 900 रुपये किलो तक का भाव मिला.
सबसे ज्यादा होती है 'अप्रैल तोड़' चाय की मांग
अभिमन्यू शर्मा ने कहा कि कांगड़ा चाय की मांग हर सीजन में बनी रहती है, लेकिन 'अप्रैल तोड़' के नाम से इस चाय की डिमांड कुछ अधिक ही रहती है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर से मार्च तक तापमान कम रहने के बाद मार्च-अप्रैल में तापमान बढ़ने लगता है. इस दौरान जो टी बड्स तैयार होते हैं वो अनेक मायनों में बाकी सीजन से अलग होते हैं.
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क्यों बढ़ जाती है 'अप्रैल तोड़' चाय की मांग
उन्होंने कहा कि इस समय जमीन में अधिक मात्रा में न्यूट्रिएंट्स होने का लाभ चाय के पेड़ों को मिलता है और मार्च तक जो ग्रोथ कम होती है वो अप्रैल में बढ़ जाती है. इस समय तैयार होने वाले बड्स और हरी पत्तियों में पोलीफिनोल की अधिक मात्रा 'अप्रैल तोड़' की चाय की गुणवत्ता और महक बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं.
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