Paonta Sahib News: पांवटा साहिब में जन संघर्ष समिति ने अपनी मांगों को लेकर परियोजना के महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधक और प्रदेश सरकार विस्थापितों की मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है.
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ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: राष्ट्रीय महत्व के श्री रेणुका जी बांध परियोजना के विस्थापित अभी तक न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर जन संघर्ष समिति ने परियोजना के महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया. समिति का आरोप है कि प्रबंधक और प्रदेश सरकार विस्थापितों की मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है. लिहाजा इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी विस्थापितों की सभी मांगे लंबित पड़ी हैं. विस्थापितों को घर बनाने के लिए उचित धनराशि नहीं दी जा रही है और ना ही उन्हें पूर्ण विस्थापित घोषित किया जा रहा है.
संघर्ष को धार देने के लिए श्री रेणुका जी बांध जन संघर्ष समिति ने बैठक आयोजित की. बैठक का आयोजन संघर्ष समिति अध्यक्ष एवं संयोजक प्रताप सिंह तोमर की अध्यक्षता में हुआ. बैठक के बाद जन संघर्ष समिति ने एचपीसीएल कार्यालय तक जुलूस निकालकर बाध प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद समिति ने परियोजना के महाप्रबंधक आर के चौधरी के कार्यलय का घेराव किया और महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपते हुए बैठक भी की.
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समिति ने गृह विहीन परिवारों की सूची जारी करने में देरी किए जाने पर चिंता व्यक्त की. दरअसल बीते साल 95 लोगों की सूची जारी की गई थी, जिसमें एक वर्ष बीतने के बाद भी बांध प्रबंधन अन्य लोगों की सूची जारी करने में नाकाम रहा. समिति ने डूब क्षेत्र में रह रहे परिवारों को पूर्ण विस्थापित का दर्जा दिए जाने के साथ पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना में बांध प्रबंधन के ढुलमुल रवैया पर भी रोष व्यक्त किया.
बाद जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिल ने बताया कि टोक्यो में विस्थापितों के लिए खरीदी गई जमीन का अधिकतर हिस्सा बरसाती नाले में बह गया है. ऐसी जमीन पर विस्थापितों का रह पाना नामुमकिन है. उन्होंने बताया कि विस्थापितों को मकान निर्माण के लिए दिए जा रही 28 लाख की राशि बहुत कम है. इसे लोक निर्माण विभाग के आकालित मूल्य के बराबर विस्थापितों को प्रदान किया जाए.
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संघर्ष समिति के संयोजक प्रताप सिंह तोमर महासचिव संजय चौहान एवं सतीश शर्मा ने कहा कि तनोशी में 38 बीघा, मलाहण ओर खुरकन में 3-3 बीघा जमीन अधिग्रहित ही नहीं की गई है. इसके अलावा जिनके मकान खतरे के निशान के पास बचे हैं, वन भूमि में रह रहे लोगों व काश्तकारों को पूर्ण विस्थापित का दर्जा प्रदान किया जाए. श्री रेणुका जी बांध जन संघर्ष समिति ने बांध प्रबंधन को एक महीने का समय देते हुए कहा कि अगर एक माह के अंतराल में उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो संघर्ष समिति प्रबंधन का घेराव एवं कड़ा विरोध करेगी.
वहीं, बांध प्रबंधन के महाप्रबंधक आर के चौधरी ने कहा कि इन मामलों को लेकर 20 अगस्त को बैठक हो चुकी है. बैठक में सभी मांगों को क्रमवार तरीके से रखा गया था. उन्होंने कहा कि 1362 परिवारों की सूची तैयार कर 10 सितंबर से एमपीए एफ कार्ड सियूं गांव से आरंभ किए जाएंगे. उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी प्रत्येक मांग को उच्च अधिकारियों तक पहुंचा जा रहा है.
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