Chaitra Navratri 2023: नवरात्र में हर भक्त मां के नौ स्वरूपों की भक्ति भाव से पूजा कर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा कर उनकी कृपा पाना चाहते हैं. इसके लिए वह हर दिन उनकी विधिवत पूजा-अर्चना भी करते हैं. ज्यादातर भक्त नवरात्र में कलश स्थापना भी करते हैं. ऐसे में यहां जानें कि कलश स्थापना क्यों की जाती है.
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kalash sthapna: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) की शुरुआत होने में कुछ ही समय बाकी रह गया है. चैत्र नवरात्रि का खास महत्व (Importance of Chaitra Navratri) माना जाता है क्योंकि हिंदू कैलेंडर के अनुसार इन्हीं नवरात्र से नए साल की शुरुआत होती है. इन नवरात्रि में भक्त मां की कृपा पाने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करते हैं. नवरात्रि में सबसे महत्वपूर्ण होती है कलश स्थापना (Kalash sthapna in Navratri).
क्यों महत्वपूर्ण होती है कलश स्थापना?
अक्सर आपने देखा होगा कि हिंदू धर्म में जब कोई मांगलिक कार्यक्रम या धार्मिक अनुष्ठान होता है तो उन सभी में कलश स्थापना जरूर की जाती है. सनातन धर्म में कलश स्थापना को खास महत्व (kalash sthapna importance) दिया जाता है. शास्त्रों में कलश स्थापना को शांति और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि इसके बिना कोई भी पूजा-अनुष्ठान अधूरा माना जाता है. यही वजह है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान और नवरात्रि से पहले कलश स्थापना करना शुभ होता है.
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कब की जाती है कलश स्थापना?
वहीं, अगर नवरात्रि की बात की जाए तो नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि को ही कलश स्थापना की जाती है और उसे मां के समक्ष रखा जाता है. एक बार कलश स्थापना होने के बाद उसे हिलाया नहीं जाता और न हीं उसे उठाया जाता है. इसे नवरात्रि के आखिरी दिन यानी नौंवी को ही हटाया जाता है.
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ऐसे करें कलश स्थापना
अगर आप भी कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले मिट्टी के एक पात्र में थोड़ी सी साफ मिट्टी डाल लें और उसी में थोड़े से जौ भी डाल दें. इसके बाद मिट्टी का कलश ले लें. इसके अलावा आप किसी धातु, सोने, चांदी या फिर तांबे का भी कलश ले सकते हैं. इसके बाद मिट्टी का पात्र ले लें और उसमें थोड़े से जौ डाल दें. इस सब के बाद कलश में सिक्का डालकर उसे ढ़क दें और फिर उस कलश पर पानी से भरा एक नारियल रख दें. इसके साथ ही कलावे से कलश के चारो ओर पान या फिर अशोका के पत्ते बांध दें.
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