पहाड़ियों की वाराणसी’छोटी काशी के नाम से मशहूर हैँ मंडी शहर
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मंडी : फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, मानयता है की इस दिन भगवान शिव और माता शक्ति का विवाह हुआ था.हर साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि पर देशभर के शिव मंदिर में हजारों शिव भक्त पूजा-अर्चना करते हैं पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है. मगर एक जगह ऐसी भी है जहां महाशिवरात्रि के अगले दिन से इसे एक हफ्ते तक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है
215 देवी-देवताओं का आगमन!
‘पहाड़ियों की वाराणसी’छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर में सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हो गई है. महाशिवरात्रि महोत्सव के लिए मंडी रियासत के करीब 215 देवी-देवताओं को जिला प्रशासन ने निमंत्रण पत्र भेजा है. कई देवी देवता पहले ही पहुंच गए थे, तो वही अपने मूल स्थान से 100 किलोमीटर पैदल यात्रा करने के बाद मंडी जनपद के आराध्य देव कमरुनाग वीरवार को मंडी पहुंचे गए थे.
मुख्यमंत्री ने किया विधिवत आगाज
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी पहुंचकर अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का विधिवत आगाज किया.माधोराय मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री शाही जलेब में शामिल हुए, जलेब के पड्डल मैदान पहुंचने के साथ ही मेला शुरू हुआ और इसके साथ ही प्रदर्शनियों और सरस मेले में लोगों की भीड़ देखी गई. 28 तारीख तक चलने वाले मेले के लिए हजारों श्रद्धालु बम-बम भोले के जयकारे लगाकर महाशिवरात्रि पर्व के लिए पहुंच रहे हैं.
50 साल के सफर की दिखेगी झलक
इस बार के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हिमाचल के 50 साल के सफर को झांकियों के जरिए दर्शाया जा रहा है. 25 जनवरी 2020 को हिमाचल को पूर्ण राज्य बने पूरे 50 साल हो गए. इसी को ध्यान में रखते हुए मंडी जिला प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की थीम हिमाचल के 50 साल की यात्रा पर आधारित रखी.अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का महत्व अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में श्रद्धालुओं को एक साथ मंडी के सैकड़ों देवता के दर्शन होते है. परंपरा के अनुसार जलेब निकाले जाते है जहां कई देवी-देवताओं के रथ एक साथ शामिल होते है.यही देव समागम और देव मिलन इसका मुख्य आकर्षण भी है. देव मिलन के अदभुत नजारे देखने के लिए देश विदेश के लोग मंडी पहुंचते हैं. मान्यता के अनुसार राजाओं के दौर में हर साल शिवरात्रि के दौरान मंडी रियासत के सभी ग्रामीण अपने ग्राम देवताओं के साथ राजा से मिलने आते थे, जहां शिवरात्रि का उत्सव मनाने के साथ साथ साल भर का लेखा-जोखा भी किया जाता था. वक्त के साथ साथ महोत्सव का स्वरूप बदला और अब ये महोत्सव जिला प्रशासन की निगरानी में मनाया जाता है, जहां सभी देवी देवता पहुंचते है और जलेब का हिस्सा बनते है.