हिमाचल विधानसभा चुनाव में इन प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की रहेगी पैनी नजर
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हिमाचल विधानसभा चुनाव में इन प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की रहेगी पैनी नजर

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए गए हैं. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने उन प्रत्याशियों के लिए गाइडलाइन जारी की हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.  

हिमाचल विधानसभा चुनाव में इन प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग की रहेगी पैनी नजर

संदीप सिंह/मनाली: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 68 विधानसभा सीटों पर तमाम राजनीतिक पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, CPI, CPIM, बहुजन समाज पार्टी व अन्य पार्टियों के उम्मीदवार अपना नामांकन भर रहे हैं. ऐसे में जिन प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं उन पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर रहने वाली है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रत्याशियों को मद्देनजर रखते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं, जिसका पालन करना सभी प्रत्याशियों और उनसे संबंधित राजनीतिक पार्टियों के लिए अनिवार्य होगा. अगर कोई पार्टी इन नियमों का उल्लंघन करती है तो वह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना माना जाएगा. 

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इन प्रत्याशियों पर रहेगी चुनाव आयोग की कड़ी नजर
25 अक्टूबर तक प्रदेश की तमाम सीटों पर नामांकन दाखिल हो जाएंगे. ऐसे में देखना यह जरूरी होगा कि राजनीतिक पार्टियां और उनके अपराधिक मामलों वाले प्रत्याशी इन निर्देशों का पालन कितनी गंभीरता से करते हैं. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक अपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों को खुद पर दर्ज मामलों की जानकारी तीन बार प्रतिष्ठित समाचार पत्र और न्यूज चैनल्स में प्रकाशित कराना आवश्यक किया गया है. इस मामले पर चुनाव आयोग की पैनी नजर रहेगी. 

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इतने समय के भीतर देनी होगी जानकारी
हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन कर रहा है. अपराधिक मामले वाले प्रत्याशियों को तीन बार यह जानकारी देना अनिवार्य है. इसमें नामांकन के 48 घंटे के भीतर, इसके बाद 72 घंटे और चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले अपने अपराधिक मामलों की जानकारी समाचार पत्र और प्रतिष्ठित न्यूज चैनल में देना अनिवार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई प्रत्याशी इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है. तो यह सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन माना जाएगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के पालन न करने पर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मामला दर्ज किया जा सकता है.

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