दृढ़ संकल्प हो तो कुछ भी मुमकीन है, कश्मीर की इंशादा ने इसे कर दिया सच साबित
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दृढ़ संकल्प हो तो कुछ भी मुमकीन है, कश्मीर की इंशादा ने इसे कर दिया सच साबित

Inshada Basheer: कश्मीर की 29 वर्षीय एमबीए ग्रेजुएट ने न केवल अपनी विरासत को बचा रही है बल्कि 40 लोगों को रोजगाार भी दिया है. उनकी कंपनी  "टुब्रुक" हाथों से बनाए गये समान बेचती है.  

 

दृढ़ संकल्प हो तो कुछ भी मुमकीन है, कश्मीर की इंशादा ने इसे कर दिया सच साबित

बेंगलुरु:इंशादा बशीर मीर जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में कानेहामा के पास एलओसी पर स्थित हांजीवेरा बाला पट्टन की रहने वाली 29 वर्षीय एमबीए ग्रेजुएट हैं. उन्होंने चुनौतीपूर्ण हालात के बावजूद सब्र और विश्वास के साथ एक कंपनी "टुब्रुक" बनाई, जो हाथ से तैयार किए गए सामान बेचती है. इंशादा अपनी कंपनी में 40 कारीगरों के साथ काम करती हैं.

उन्होंने अपना कारोबार मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली और जयपुर तक फैलाया है. इंशादा की महत्वाकांक्षा अपने ब्रांड "टुब्रुक" को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित शिल्प को पेश करना और दिन-ब-दिन लुप्त हो रही कला और कारीगरों को एक नया जीवन देना है.

इंशादा को बेंगलुरु के बैंगलोर इंटरनेशनल सेंटर में शिल्प आधारित उद्यमों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने वाले एक सामाजिक उद्यम "200 मिलियन आर्टिसन्स" द्वारा हाल ही में आयोजित "कुला - 23 कॉन्क्लेव" में अपनी सफलता की कहानी बताने के लिए एक पैनलिस्ट के रूप में बुलाया था.

इंशादा ने मीडिया को अपनी सफल सफर के बारे में बताते हुए कहा, “टुब्रुक” एक कश्मीरी शब्द है जिसका अर्थ एक स्मारिका और आशीर्वाद है. वह कहती हैं, "जब मैंने व्यावसायिक प्रस्तावों के साथ कारीगरों से संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे एक छोटे बच्चे के रूप में देखा और हंसे".

श्रीनगर शिल्प विकास संस्थान में शिल्प प्रबंधन की पढ़ाई के दौरान युवती ने अपने मूल स्थान पर व्यवसाय स्थापित करने का सपना देखा था.उसने मूल बातें, मूल्य आपूर्ति श्रृंखलाएं सीख ली थीं, लेकिन चुनौती कश्मीर में मौजूदा जमीनी हकीकत से निपटने की थी.

परिवार पहले से कालीन कारोबारी
इंशादा से पूछा गया कि क्या उन्हें परिवार द्वारा व्यवसाय करने की इजाजत दी गई थी, तो उन्होंने बताया कि वह एक ऐसे परिवार से हैं जो कालीन का व्यवसाय करता था. “बाहरी लोग सोचते हैं कि मुस्लिम महिलाओं को व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है. पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की पत्नी इस दुनिया की पहली बिजनेसवुमन हैं. मेरे साहसिक कार्य पर मेरे पिता की सलाह नकारात्मक थी.पिता की राय थी की कोई व्यवसाय शुरू न करें क्योंकि यह जोखिम भरा है. लेकिन, चूंकि मैं अपने इरादे पर अडिग था, इसलिए उन्होंने मुझे अपना सपना पूरा करने से नहीं रोका. वह हर समय मेरे लिए मौजूद है.' मेरी मां ने भी मेरे सपने का समर्थन किया और मेरे काम में बहुत साथ दिया".

कारीगरों को पहले किया भुगतान
इंशादा ने खुलासा किया, “मैंने कारीगरों को पहले भुगतान करके अपना काम शुरू किया. मुझे शॉल, स्टोल, गहने, कान की बालियां, लैपटॉप कवर और विशिष्ट आधुनिक कढ़ाई वाले अन्य लेखों के नए डिजाइन मिले. वह मेरा पहला कदम होगा और यह एहसास हुआ कि आपकी मदद करने के लिए कई लोग हैं. आपको इसे रचनात्मक मानसिकता के साथ करना होगा”.

अंतरराष्ट्रीय स्तर ले जाने का लक्ष्य
उन्होंने 2018 में एनजीओ कमिटमेंट टू कश्मीर द्वारा मुनअक्कीद बेंगलुरु प्रदर्शनी में भाग लिया. उसके बाद उन्होंने कुछ और कार्यक्रमों में भाग लिया, जिससे उन्हें संपर्क, नेटवर्क और बाजार मिलने में मदद मिली.“ आगे कहा कि चार से पांच कारीगरों के साथ शुरुआत की अब, मुझे फख्र है कि मैं उनमें से 40 से 50 के साथ काम कर रहा हूं. अधिक खुशी तब होती है जब मैं उनका भुगतान पहले करने में काबिल होता हूं. अब, मेरा लक्ष्य टुब्रुक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना है".

इंशादा कहती हैं, "मैं बेंगलुरु में इस कुला कॉन्क्लेव कार्यक्रम के लिए मुझे आमंत्रित करने और हस्तशिल्प क्षेत्र के अन्य प्रतिष्ठित लोगों के साथ अपने विचार और सफर साझा करने और हम इस क्षेत्र को कैसे बचा सकते हैं, इस पर चर्चा करने के लिए उनकी आभारी हूं." इंशादा आंखों में चमक के साथ बताती हैं, कश्मीर आगे बढ़ रहा है, आगे बढ़ रहा है.

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