Bashir Badr Poetry: आज आपके सामने हम पेश कर रहे हैं बशीर बद्र के शेर. वह आम आदमी के शायर हैं. उनकी शायरी हिंदी में भी खूब पढ़ी जाती है.
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Bashir Badr Poetry: बशीर बद्र उर्दू के बेहतरीन शायर हैं. बशीर बद्र को आम आदमी का शायर कहा जाता है. वह बहुत आसान शायरी करते हैं. उनकी बुहत सी शायरी हिंदी में ट्रांस्लेट हुई हैं. उन्हें खूब पढ़ा जाता है. वह 15 फरवरी 1935 को पैदा हुए. उन्हें साल 1999 में साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया. बशीर बद्र फिलहाल अलजाइमर की बीमारी से पीड़ित हैं.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू क नहीं देरखा
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता