Israel-Palestine conflict: क्या इसराइल को सैन्य उपकरणों की सप्लाई कर भारत कर रहा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन; SC में PIL
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Israel-Palestine conflict: क्या इसराइल को सैन्य उपकरणों की सप्लाई कर भारत कर रहा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन; SC में PIL

Israel-Hamas War: सामाजिक कार्यकर्ता अशोक शर्मा समेत 11 लोगों ने सप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें कोर्ट से इसराइल को हथियार और सैन्य उपकरणों को सप्लाई कर रहे कंपनियों के लाइसेंस देने पर रोक लगाने की मांग की है.

Israel-Palestine conflict: क्या इसराइल को सैन्य उपकरणों की सप्लाई कर भारत कर रहा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन; SC में PIL

Israel-Palestine conflict: इसराइल और हमास के बीच पिछले करीब 10 महीने लगातार हमले जारी हैं. IDF ने गाजा में WHO की अपील पर फिलहाल जमीनी और हवाई हमले रोक दिए हैं. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र को इसराइल-फलस्तीन संघर्ष के दौरान इसराइल को सैन्य उपकरण निर्यात के लिए भारत में अलग-अलग कंपनियों को नए लाइसेंस देने पर रोक लगाने की मांग की गई है. 

एक रिटायर्ड सिविल सेवक और सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार शर्मा समेत 11 लोगों द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम मेसर्स म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड और अन्य निजी कंपनियां जैसे मेसर्स प्रीमियर एक्सप्लोसिव, अदानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड ( Adani Defence and Aerospace Ltd ) समेत इससे जुड़ी तीन कंपनियों ने जंग के दौरान इसराइल को हथियारों के लाइसेंस दिए हैं.

याचिका में कहा गया है, "भारत में हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्माण और निर्यात से जुड़ी कम से कम 3 कंपनियों को गाजा में चल रहे जंग के दौरान भी इसराइल को हथियारों और युद्ध सामग्री के निर्यात के लिए लाइसेंस दिए गए हैं. ये लाइसेंस दोनों में से किसी एक से प्राप्त किए गए हैं विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) या रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) जो दोहरे उपयोग और विशेष रूप से सैन्य मकसदों के लिए हथियारों और गोला-बारूद के निर्यात को अधिकृत करता है."

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से की ये मांग
सीनियर वकील प्रशांत भूषण के जरिए से दायर याचिका में कहा गया है कि इसराइल को हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों के निर्यात के लिए लाइसेंस देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ पढ़े गए 51 (सी) के साथ इंटरनेशनल कानून के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है.

इसराइल ने इन हथियारों का इस्तेमाल नरसंहार करने के लिए किया है. याचिका में कहा गया है कि भारत को तुरंत यह सुनिश्चित करने के लिए हर तरह से कोशिश करनी चाहिए कि नरसंहार में हथियारों का इस्तेमाल न किया जाए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन न हो.

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इसमें आगे कहा गया, "इस संवैधानिक आदेश की रौशनी  में भारत द्वारा इसराइल को हथियारों और गोला-बारूद की कोई भी आपूर्ति नैतिक रूप से अनुचित और कानूनी और संवैधानिक रूप से अस्थिर है. भारत को तुरंत इसराइल को अपनी सहायता, खासतौर पर से सैन्य उपकरणों समेत अपनी सैन्य सहायता को निलंबित कर देना चाहिए, जहां तक ​​कि इस सहायता का उपयोग नरसंहार कन्वेंशन, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून या सामान्य अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य अनुमेय मानदंडों के उल्लंघन में किया जा सकता है."

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