Delhi Riots: खालिद सैफी पर हत्या की कोशिश का इल्जाम, खटखटाया HC का दरवाज़ा
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Delhi Riots: खालिद सैफी पर हत्या की कोशिश का इल्जाम, खटखटाया HC का दरवाज़ा

Delhi Riots 2020: दिल्ली के जाफराबाद में CAA और NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट हो रहा था. इसी दौरान कुछ हिंदूवादी संगठनों ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे आपत्तिजनक नारेबाजी करने लगे थे. जिसके बाद दोनों गुटों में हिंसक झड़प हुई थी. इस मामले में 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' के संस्थापक खालिद सैफी पर हत्या की कोशिश का आरोप लगा है.

Delhi Riots: खालिद सैफी पर हत्या की कोशिश का इल्जाम, खटखटाया HC का दरवाज़ा

Delhi Riots 2020: साल 2020 में दिल्ली के कुछ इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. इस मामले में 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' के संस्थापक खालिद सैफी पर हत्या की कोशिश का आरोप लगा है, जिसके खिलाफ उन्होंने आज यानी 1 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

सैफी के वकील ने दी ये तर्क
सैफी की तरफ से पेश सीनियर वकील ने तर्क दिया कि एक बार जब उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत अपराध हटा दिए गए, और न तो कोई हथियार बरामद किया गया और न ही कथित गोली चलाने का इल्जाम उन पर लगाया गया, तो आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत इल्जाम तय नहीं किया जा सकता."

जस्टिस ने क्या कहा?
हालांकि, न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मौखिक रूप से कहा कि घटनास्थल पर सैफी की मौजूदगी और "उकसावे" के बारे में गवाहों के बयानों को देखते हुए, वह याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं आदेश पारित करूंगा. आप इस बात की जिरह कर सकते हैं कि आप मौजूद थे या नहीं?" 

हेड कांस्टेबल पर चली थी गोली
जगत पुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, 26 फरवरी, 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली के खुरेजी खास इलाके में मस्जिदवाली गली में भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ ने पुलिस के तितर-बितर होने के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया, पथराव किया और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, एफआईआर में कहा गया है, किसी ने हेड कांस्टेबल योगराज पर गोली भी चलाई थी.

क्या है पूरा मामला
दिल्ली के जाफराबाद में CAA और NRC के खिलाफ प्रोटेस्ट हो रहा था. इसी दौरान कुछ हिंदूवादी संगठनों ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे आपत्तिजनक नारेबाजी करने लगे थे. जिसके बाद दोनों गुटों में हिंसक झड़प हुई और 24 फरवरी 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली के कई जगहों पर सांप्रदायिक झड़पे हुई. जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे. जबकि 700 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. 

इशरत जहां पर लगा था ये इल्जाम
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, सैफी और पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने "अवैध सभा" को उकसाया था. जनवरी में, ट्रायल कोर्ट ने सैफी, इशरत जहां और 11 दूसरे के खिलाफ हत्या की कोशिश, दंगा और गैरकानूनी सभा से संबंधित आरोप तय करने का आदेश दिया था. अप्रैल में औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए थे. हालांकि सभी 13 को आपराधिक साजिश, उकसावे और साझा इरादे तथा शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया. सैफी की तरफ से पेश सीनियर वकील ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि वह निचली अदालत के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका को धारा 307 के तहत लागू करने तक सीमित कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि खुरेजी खास में विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक खालिद सैफी खुद हिरासत में यातना का शिकार हुआ था और सीसीटीवी फुटेज सहित कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि वह गैरकानूनी सभा का हिस्सा था या उसने हिंसा भड़काई थी. वकील ने तर्क दिया, "गोलीबारी अलग से हुई. मैं गोलीबारी से जुड़ा नहीं हूं. धारा 307 लागू करने के लिए सिर्फ सबूत यह है कि किसी ने गोली चलाई और गोलीबारी में कोई जख्मी नहीं हुआ." उन्होंने कहा, "एक बार जब वे हम सभी के खिलाफ शस्त्र अधिनियम हटा देते हैं और किशोर (गोलीबारी के लिए) पर अलग से मुकदमा चलाने लगते हैं, जिसे अब बरी कर दिया गया है, तो ऐसा कुछ भी नहीं है. जिससे पता चले कि योगराज को खरोंच भी आई हो, विश्वसनीयता की परीक्षा होनी चाहिए."

 

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