West Bengal Muslim News: पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों को OBC रिजर्वेशन की सूची से हटा दिया गया है. ऐसे में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. लेकिन इस पर सुनवाई नहीं हो रही है. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई हो.
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West Bengal Muslim News: पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपनी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फौरन सुनवाई की गुजारिश की जिसमें कई जातियों, खासकर मुस्लिमों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में रिजर्वेशन देने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया था. तृणमूल कांग्रेस के कयादत वाली राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली अदालत की पीठ से कहा कि दूसरी याचिकाओं के साथ इस याचिका पर भी सुनवाई की जरूरत है क्योंकि ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने जैसे मुद्दे रुके हुए हैं.
जारी नहीं हो रहे प्रमाण पत्र
सीनियर वकील ने कहा कि अधिकारी मेडिकल कॉलेज सहित दूसरे संस्थानों में प्रवेश के लिए रिजर्वेशन का लाभ लेने के इच्छुक लोगों को जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि ये मामले आज के लिए लिस्टेड हैं, लेकिन उन पर सुनवाई हो पाने की संभावना कम है. चीफ जस्टिस ने कहा कि पीठ आज की सूची में इन मामलों से पहले निर्धारित मुकदमों की सुनवाई के तुरंत बाद इन पर विचार करेगी.
SC ने कही विचार करने की बात
इससे पहले 13 सितंबर को भी इस मामले का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया था. न्यायालय ने कहा था कि वह कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई की तारीख पहले करने पर सोचेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले पांच अगस्त को राज्य सरकार से OBC सूची में शामिल की गई नयी जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व पर आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा था.
मांगा गया ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर वादियों को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने प्राधिकारियों से हलफनामा दाखिल कर जातियों, खासकर मुस्लिम समूहों को OBC सूची में शामिल करने से पहले उसके और राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग की तरफ से किए गए परामर्श (यदि कोई हो) का ब्यौरा देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को पश्चिम बंगाल में कई जातियों को 2010 से दिया गया OBC का दर्जा रद्द कर दिया था और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए रिजर्वेशन को अवैध करार दिया था.