आर्टिकल 370 पर SC के फैसले पर बिलबिला उठे बिलावल; इस बात का किया जिक्र
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आर्टिकल 370 पर SC के फैसले पर बिलबिला उठे बिलावल; इस बात का किया जिक्र

Article 370: 11 दिसंबर को SC के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए जम्म-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसले को बरकरार रखा. इस फैसले पर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी आर्टिकल 370 पर टिप्पणी की है. 

आर्टिकल 370 पर SC के फैसले पर बिलबिला उठे बिलावल; इस बात का किया जिक्र

Article 370: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को वैध ठहारया है. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि 2019 में आर्टिकल 370 रद्द करने का भारत सरकार का फैसला सही था और ये आर्टिकल एक अस्थायी प्रावधान था. इस फैसले पर मुल्क के कई नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है. इस बीच पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी आर्टिकल 370 पर टिप्पणी की है. 

पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने क्या कहा? 

उन्होंने कहा, "UN सिक्योरिटी काउंसिल के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है." भुट्टो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “अपने हालिया फैसले से इंडिया ने साबित कर दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून का लगातार उल्लंघन कर रहा है. विवादित इलाके में ऐसे फैसले विश्वसनीयता की कमी दिखाते हैं."

जम्मू-कश्मीर को लेकर UN का किया जिक्र

आगे उन्होंने कहा, "5 अगस्त 2019 से इंडिया जो कर रहा है, वो कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं की अनदेखी और UN सिक्योरिटी काउंसिल प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है.न तो भारतीय संसद और न ही इसकी न्यायपालिका के पास UN सिक्योरिटी के प्रस्तावों या अंतरराष्ट्रीय समझौतों में संशोधन करने का अधिकार है. वैश्विक समुदाय और संयुक्त राष्ट्र की नजर में कश्मीर एक विवादित इलाका है और इसके भविष्य का फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ही होगा."

SC के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

11 दिसंबर को SC के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए जम्म-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसले को बरकरार रखा. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, "राष्ट्रपति ने जो फैसला लिया, वह सत्ता का दुरुपयोग नहीं है. इसके लिए राज्य के साथ किसी सहमति की जरूरत नहीं थी."

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