माह-ए-रमजान में एतिकाफ में बैठने से अल्लाह होता है खुश; हजार साल की इबादत का है सवाब
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माह-ए-रमजान में एतिकाफ में बैठने से अल्लाह होता है खुश; हजार साल की इबादत का है सवाब

Ramadan 2024: रमजान की 20वीं तारीख से 10 दिनों के लिए मस्जिद में एकांत में बैठकर नमाज और कुरान की तिलावत करने को एतिकाफ कहते हैं, आईए जानते हैं, इससे जुड़े नियम.

माह-ए-रमजान में एतिकाफ में बैठने से अल्लाह होता है खुश; हजार साल की इबादत का है सवाब

Ramadan 2024: 'एतिकाफ' रमजान महीने की नफली इबादत है. इसमें इंसान कुछ दिनों के लिए दुनियादारी को छोड़कर दस दिनों के लिए पूरी तरह इबादत में मसरूफ रहता है. 20वें रमजान को मगरिब की नमाज के बाद इंसान घर के किसी कोने, खाली कमरे या फिर मस्जिद में रहकर दस दिन इबादत में गुजारता है. इसमें रोजे और नमाज के साथ नफिल नमाज और कुरान की तिलावत करता है. पैगंबर मोहम्मद स. हर रमजान मुस्तैदी के साथ एतिकाफ में बैठा करते थे.

एतिकाफ का मकसद?
एतिकाफ का मकसद ज्यादा से सवाब हासिल करना है. अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगना है. एतिकाफ का सबसे बड़ा फायादा ये होता है कि एतिकाफ करने वाला आदमी मुस्तैदी के साथ 21 से 29 रमजान के बीच शब-ए-कदर की रात को जागता और इबादत करता है. अल्लाह ने फरमाया है कि जो शख्स शब-ए-कदर की रात में जागकर अल्लाह को राजी करने के लिए इबातद करेगा उसके तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते हैं. एतिकाफ में बैठने वाले शख्स को 1 हजार रातों की इबादत का सवाब मिलता है.

एतिकाफ के जरूरी मसले
1. ऐतिकाफ का आगाज 20वें रमजान की शाम से शुरू होता है. मगरिब की नमाज के बाद एतिकाफ करने वाला इंसान दुनियादारी से राब्ता तोड़कर घर या मस्जिद में किसी खास जगह पर बैठ जाता है.
2. एतिकाफ के लिए इलाके की जामा मस्जिद को बेहतर माना गया है. हालांकि किसी भी मस्जिद में एतिकाफ किया जा सकता है. पुरूषों के लिए मस्जिद में ही एतिकाफ करने का हुक्म है.
3. एतिकाफ में मर्द और औरत दोनों बैठ सकते हैं. औरत और मर्द दोनों को ही मस्जिद में एतिकाफ करने का हुक्म है, लेकिन अगर मस्जिद में औरतों के लिए इंतजाम न हो, और उनकी सुरक्षा को खतरा हो, तो ऐसी सूरत में उन्हें घर पर ही एतिकाफ करना चाहिए.
4. ऐतिकाफ के दौरान बिना किसी ठोस वजह के एतिकाफ वाली जगह से बाहर नहीं जाना चाहिए. हालांकि, नहाने, पाखाना और पेशाब करने के लिए वह अपनी जगह से निकल सकता है.
5. एतिकाफ में बैठे शख्स के लिए किसी काम से बाजार जाने, किसी मरीज की एयादत करने, किसी मय्यत के जनाजे में हिस्सा लेने या फिर किसी अन्य सार्वजनिक काम में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होती. 
6. एतिकाफ में बैठा शख्स अपनी बीवी या अपने शौहर से मिल सकता है, लेकिन उसे एक दूसरे से हमबिस्तर होने की इजाजत नहीं होती.
7. एतिकाफ का मकसद लैलतुल कदर/ शब-ए-कदर की रात का फायदा हासिल करना होता है. इसलिए एतिकाफ में बैठे शख्स के लिए जरूरी है कि वह उन पांच रातों में भरपूर इबादत करे और अल्लाह को रोजी करे.

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