Amaravati As Capital: आंध्रा प्रदेश के कई लोग राजधानी अमरावती को तीन भागों में बांटने के खिलाफ हैं. राजधानी को तीन भागों में बांटने के खिलाफ तकरीबन 29 गावों के लोगों ने की पदयात्रा.
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Amaravati As Capital: अमरावती के 29 गांवों के किसानों ने सोमवार को दूसरी महा पदयात्रा निकाली है. किसानों की मांग है कि आंध्र प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सिर्फ अमरावती को ही राजधानी के रूप में विकसित करें. वेंकटपलेम में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद, अमरावती परिरक्षण समिति (एपीएस) और अमरावती किसानों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के नेताओं और सदस्यों ने महा पदयात्रा शुरू की.
पदयात्रा में किसान, खेतिहर मजदूर, महिलाएं और विभिन्न क्षेत्रों के लोग भाग ले रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा तीन राज्यों की राजधानियों के अपने कदम को वापस लेने तक अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही.
सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की मौजूदगी में पदयात्रा शुरू हुई और 'जय अमरावती' के नारा लगाया गया. आयोजकों ने विशेष रूप से सजाए गए रथ से पदयात्रा का संचालन किया. वहीं प्रतिभागियों ने भगवान की मूर्तियों की विशेष पूजा की और रथ के साथ चल पड़े. पुजारियों के एक समूह ने यात्रा के दौरान प्रार्थना जारी रखी.
तेलुगु देशम पार्टी (सीपीआई) के नेता और पूर्व मंत्री मगंती बाबू, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के नेता के. नारायण और कांग्रेस, भाजपा, जन सेना और अन्य दलों के नेता भी मौजूद रहे. पहले दिन पदयात्रा का समापन कृष्णयापलेम, पेनुमका और येराबलेम से होते हुए मंगलागिरी में होगा. आयोजकों ने कहा कि उनकी दूसरी पदयात्रा एक बार फिर इस बात को उजागर करेगी कि अन्य क्षेत्रों के लोग भी राज्य की राजधानी को तीन भागों में बांटने के खिलाफ हैं. पुलिस द्वारा अनुमति देने से इनकार करने के बाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते लॉन्ग मार्च को मंजूरी दी थी, साथ ही शर्त भी रखी थी, कि मार्च में 600 से ज्यादा लोग शामिल न हों.
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