अररिया: मुस्लिम वोटर्स और दबदबा, BJP सांसद के 'हिंदू बनने की धमकी' वाले बयान के सियासी मायने?
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अररिया: मुस्लिम वोटर्स और दबदबा, BJP सांसद के 'हिंदू बनने की धमकी' वाले बयान के सियासी मायने?

Bihar Politics: अररिया से बीजेपी सांसद प्रदीप कुमार सिंह अपने विवादित बयान की वजह से विपक्ष के निशाने पर हैं. बीजेपी नेता के इस बयान से बिहार की सियासी फिजा में हलचल मचा हुआ है. पटना से लेकर दिल्ली तक विपक्षी नेता भाजपा सांसद के बयान की निंदा कर रहे हैं.  

 

अररिया: मुस्लिम वोटर्स और दबदबा, BJP सांसद के 'हिंदू बनने की धमकी' वाले बयान के सियासी मायने?

Araria News: बिहार के अररिया से लोकसभा सांसद प्रदीप कुमार सिंह के विवादित बयान के बाद पटना से लेकर दिल्ली तक सियासी घमासान मचा हुआ है. 'भारत स्वभिमान यात्रा' के दौरान भाजपा सांसद ने कहा कि अगर अररिया में रहना है तो हिन्दू बनना होगा.  इस बयान के बाद बीजेपी नेता पर विपक्षी पार्टियों ने निशाने पर आ गए हैं. राजद-कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने भाजपा सांसद की इस बयान की निंदा की और विपक्षी दलों के नेताओं ने उनका पुतला फूंका और उनके खिलाफ नारेबाजी की. 

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सीमांचल की धरती की बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. भाजपा एक भाई को दूसरे भाई से लड़ाना चाह रही है. उन्होंने कहा कि सीमांचल बिहार का सबसे पिछड़ा इलाका है. यह इलाका हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रहा है. लेकिन भाजपा दंगा भड़काना चाहती है,जो हम होने नहीं देंगे.

यहां देखें वीडियो....

"मुसलमानों की तरफ बुरी नजर से देखने वालों की ईंट से ईंट बजा देंगे": तेजस्वी यादव
राजद नेता ने सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा, "आज भाजपा के एक सांसद ने बिहार में माहौल बिगाड़ने के लिए भड़काऊ बयान दिया और आज ही उस सांसद को नीतीश कुमार जी ने अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया करा दी."

उन्होंने कहा, "इस देश की मिट्टी में सबकी महक और आज़ादी में सबका योगदान है. मैं हरेक व्यक्ति को यकीन दिलाता हूँ कि जब तक मेरी साँस है मैं बिहार को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने वाले हरेक व्यक्ति के सामने डट कर खड़ा रहूँगा और मुसलमानों की तरफ बुरी नजर से देखने वालों की ईंट से ईंट बजा देंगे."

भाजपा नेता का क्या है?
नेपाल से सटे बिहार के सबसे पिछड़ों जिलों में से एक अररिया के सांसद ने प्रदीप सिंह ने आखिर ऐसा बयान क्यों दिया?  लेकिन इससे पहले ये जाने लेते हैं उन्होंने आखिर क्या कहा जिसकी वजह से बिहार में बवाल मचा हुआ है. भाजपा नेता ने यात्रा के दौरान लोगों को संबोधन करते हुए कहा, "कोई बोलता है गर्व से कहो कि हम मुसलमान हैं, हमको हिंदू कहने में क्या शर्म है? हम सबको कहते हैं कि चुनाव में भी कि अररिया में रहना है तो हिंदू बनना होगा. जब बेटा-बेटी का रिश्ता करना होगा तब जाति खोज लीजिएगा. परिवार खोज लीजिएगा. नस्ल खोज लीजिएगा. खानदान खोज लीजिएगा."

अब बात करते हैं प्रदीप सिंह ने यह बयान क्यों दिया? प्रदीप के इस बयान के पीछे कई सियासी मायने हैं. बिहार में कुछ ही दिन बाद चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं. एनडीए ये चार सीट के नतीजे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बहुत अहम है और भाजपा नेता के इस बयान से ये साफ हो गया कि भाजपा यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान की तर्ज पर बिहार में भी विधानसभा चुनाव हिंदुत्तव के मुद्दों पर लड़ेगी.

वो इस मुद्दे के साथ बिहार के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में हिन्दू वोटरों को एक टेंट के नीचे लाने के लिए आक्रामक बैटिंग शुरु की है. दरअसल, अररिया की सियासत में मुस्लिम वोटरों का दबदबा है. साथ ही यहां पिछड़े जाति की भी संख्यां भी अच्छी खासी है.

अररिया लोकसभा सीट के अंतगर्त कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें रानीगंज, नरपटगंज,  फोरबेसगंज, जोकीहाट अररिया और सिकटी हैं. 

अररिया में दशकों से मुस्लिम वोटर्स का दबदबा?
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की कुल आबादी में 43 फीसदी मुसलमानों की आबादी है. यही कारण है कि यहां मुस्लिम वोटर नतीजे तय करने में अहम रोल निभाते हैं. यहां पर किसी भी उम्मीदवार का सियासी भविष्य तय करने का दम रखते हैं. अगर अररिया की कुल जनसंख्या की बात करें तो यहां की कुल आबादी  2,811,569 है.  

अररिया लोकसभा के सियासी इतिहास की बात करें तो यहां शुरुआत में कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन राजद और बीजेपी ने यहां के वोटरों में सेंधमारी कर कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया. कांग्रेस की जगह राजद ने ले लिया और भाजपा को सीधी टक्कर देने लगे. पिछले 5 लोकसभा चुनावों के परिणाम को देखें तो यहां पर बीजेपी और आरजेडी के बीच ही टक्कर देखने को मिली है.

बीजेपी ने सबकों चौंकाते हुए यहां पर साल 1998 में अपना खाता खोलने में कामयाब हुआ था. हालांकि, इसके बाद राजद ने लगातार दो बार  1999 में 2004 में परचम  लहराया, लेकिन 5 साल बाद यानी 2009 के लोकसभा चुनाव में ये सीट आरजेडी हार गई और  प्रदीप कुमार सिंह ने बीजेपी के टिकट पर यहां पर वापसी की. लेकिन 2014 के मोदी लहर में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई. आरजेडी ने 2014 में  कब्जा जमा कर लिया.

2019 में RJD का दांव पर उल्टा
आरडेडी के कद्दावर नेता और 'सीमांचल गांधी' के नाम से मशहूर तत्कालीन सांसद के इंतकाल के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में राजद के सरफराज अहमद ने जीत हासिल की. सरफराज  हैं, जो उस वक्त राजद कोटे से विधायक भी था. लेकिन 2019 के चुनाव में मरहूम तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे सरफराज पर अरजेडी का दांव लगाना सियासी अखाड़े में गलत साबित हो गया. बीजेपी ने वापस इस सीट पर कब्जा कर लिया.

2024 लोकसभा चुनाव का जनादेश 
अररिया में 2024 का लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प रहा. आरजेडी ने यहां से सरफाराज की जगह उसके छोटे भाई और जोकीहाट से मौजूदा विधायक शाहनवाज आलम को मैदान में उतारा, आरजेडी का ये दांव पर फिर उल्टा पर गया. प्रदीप सिंह ने शाहनवाज को 21 हजार वोटों से हराकर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की.  बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप सिंह को कुल 6 लाख 146 वोट मिले थे. वहीं, शाहनवाज को 5 लाख 80 हजार 52 वोट मिले.

 

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