हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी के ऐतिहासिक मंदिर को तोड़ कर मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का निर्माण किया गया था.
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नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) विवाद पर पिछले दिन सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हुक्म जारी किया है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) यहां के विवादित परिसर का सर्वे करे. इसके बाद इस हवाले से एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वार काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर का सर्वे कराए जाने के फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है.
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और मस्जिद कमेटी को इस फैलले पर तुरंत अपील करके इसे सुधार करवाना चाहिए. ASI से सिर्फ धोखाधड़ी का इमकान है और इतिहास दोहराया जाएगा, जैसा कि बाबरी के मामले में किया गया था. किसी भी आदमी को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है.'
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वहीं ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की कमेटी ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चैलेंज करने का इरादा किया है.
डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसाल
गौरतलब है कि वाराणसी की सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक दीवानी अदालत ने गुरुवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया है. अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया है.
ऐतिहासिक महत्व
हिंदू पक्ष का दावा है कि काशी के ऐतिहासिक मंदिर को तोड़ कर मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर ज्ञान वापी मस्जिद का निर्माण किया गया था. हिंदू समुदाय इसे अपना ऐतिहासिक स्थल मानता है. वहीं, मुस्लिम इसे अपना पवित्र स्थान मानते हैं. 1991 में, केंद्र सरकार ने सभी धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए एक कानून बनाया. हालांकि, अयोध्या में बाबरी मस्जिद विवाद को कानून के दायरे से बाहर रखा गया था. कानून के तहत, धार्मिक स्थल 1947 से पहले हालत में बने रहेंगे.
ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी की दलील
ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की कमेटी का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद को भी उसी कानून के तहत संरक्षण हासिल है. इस मस्जिद के साथ कोई भी छेड़छाड़ केंद्र सरकार के कानून का उल्लंघन होगा.