"तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर, तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की"
Advertisement

"तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर, तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की"

Asar Lakhnavi Poetry: शायरी के साथ असर लखनवी ने दीगर अदब के मजमून पर लिखा. उनके लेखन का सग्रंह ‘छानबीन’ के नाम से छपा. यहां पेश हैं असल लखनवी के कुछ चुनिंदा शेर.

"तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर, तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की"

Asar Lakhnavi Poetry: असर लखनवी उर्दू के बेहतरीन शायर थे. उनका असली नाम मिर्जा जाफर आली खान था. वह 12 जुलाई 1885 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पैदा हुए. उन्होंने डिप्टी कलेक्ट्री के साथ कई और अहम ओहदों पर काम किया. वह कुछ अर्से तक जम्मू व कश्मीर के वजीर भी रहे. असर लखनवी की शायरी मुद्दों पर होती थी. लेकिन इश्किया शायरी उनकी जबान की सफाई दिखाती है. 

इश्क़ से लोग मना करते हैं 
जैसे कुछ इख़्तियार है अपना 

एक उजड़ा हुआ दिया हूँ मैं 
आगे आया है सब किया मेरा 

आज कुछ मेहरबान है सय्याद 
क्या नशेमन भी हो गया बर्बाद 

सना तेरी नहीं मुमकिन ज़बाँ से 
मआनी दूर फिरते हैं बयाँ से 

आह किस से कहें कि हम क्या थे 
सब यही देखते हैं क्या हैं हम 

यह भी पढ़ें: "तुम से मिले तो ख़ुद से ज़ियादा, तुम को अकेला पाया हम ने"

ज़िंदगी और ज़िंदगी की यादगार 
पर्दा और पर्दे पे कुछ परछाइयाँ 

पलकें घनेरी गोपियों की टोह लिए हुए 
राधा के झाँकने का झरोका ग़ज़ब ग़ज़ब 

जो आप कहें उस में ये पहलू है वो पहलू 
और हम जो कहें बात में वो बात नहीं है 

क्या क्या दुआएँ माँगते हैं सब मगर 'असर' 
अपनी यही दुआ है कोई मुद्दआ न हो 

इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे 
अब उन से भी हमारी बे-कसी देखी नहीं जाती 

भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया 
मुझ को देखा मुस्कुराया ख़ुद-ब-ख़ुद शरमा गया 

बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का 
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते 

इस तरह की खबरें पढ़ने के लिए zeesalaam.in पर जाएं.

Trending news