Nitish Kumar Vs BJP: भाजपा के साथ नीतीश कुमार की डगर मुश्किल नजर आ रही है. क्योंकि दोनों के बीच कई मुद्दों पर मनमुटाव चल रहा है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले कुछ दिनों भाजपा और नीतीश कुमार अलग हो सकते हैं और नीतीश RJD के साथ मिलकर सरकार बना सकते
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Bihar Politics: महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में सत्ता पलट सकती है, बस मामला थोड़ा अलग है. महाराष्ट्र में भाजपा सत्ता में वापस आई है और बिहार में सत्ता से बेदखल हो सकती है. क्योंकि नीतीश कुमार और भाजपा के रिश्तों में खटास की खबरें खूब वायरल हो रही हैं. यहां तक कि यह दावा भी किया जा रहा है कि JDU और RJD अगले कुछ दिनों में मिलकर सरकार बना सकते हैं. इसके अलावा यह भी खबरें हैं कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी फोन पर बात की है. कहा जा रहा है कि अगले 48 घंटे बिहार की सियासत में कोई बड़ा भूंचाल लाने वाले हैं.
एक खबर के मुताबिक नीतीश कुमार ने अपने सभी विधायकों राजधानी में इकट्ठा होने के लिए कहा है. इसके अलावा RJD ने अपने सभी विधायकों को पटना में रहने के लिए कहा है. कहा यह भी जा रहा है कि तेजस्वी यादव अपने सभी विधायकों के साथ मंगलवार को बैठक करेंगे. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर बिहार की सियासत में ऐसा क्यों हो रहा है? तो इसके पीछे की कुछ वजहें हम आपको बताने जा रहे हैं.
सबसे पहले तो यह बता दें कि पिछले कुछ दिनों नजर डालें तो भाजपा और नीतीश कुमार के बीच काफी वक्त से अंदरूनी तौर पर जंग छिड़ी हुई है. भाजपा और नीतीश कुमार के सुर अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं. पहला तो यह कि लाउडस्पीकर और हनुमान चालीसा पर नीतीश कुमार का भाजपा से अलग स्टैंड था. इसके अलावा जब अमित शाह पटना गए थे तो नीतीश कुमार ने उनसे शिष्टाचार मुलाकात भी नहीं की थी. इसके अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई भोज में भी नीतीश नजर नहीं आए थे. नीति आयोग की बैठक से भी नदारद रहे.
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इसके अलावा कारणों की बात करें तो खबरों में दावा किया जा रहा है कि भाजपा अब राज्य में अपना मुख्यमंत्री चाहती है. भाजपा चाहती है कि नीतीश कुमार इसमें उनकी मदद करें. खबरों में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि भाजपा की इच्छा लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार में विधानसभा चुनाव कराने की है. सियासी रूप से इसका फायदा सीधे भाजपा को मिल सकता है. हालांकि नीतीश कुमार इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं क्योंकि वो अपना कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जदयू से ज्यादा सीटें हासिल की थीं लेकिन उसके बावजूद भाजपा आला कमान ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने का फैसला किया था. लेकिन भाजपा के प्रदेश नेताओं को यह बात शायद आज तक हज़म नहीं हुई. पहले दिन से लकर अब दोनों पार्चियों के बीच यह तनातनी बढ़ती ही जा रही है. ऐसा कई मौके पर देखने को मिला है. हाल ही में अग्निपथ स्कीम पर नीतीश की पार्टी का स्टैंड भी भाजपा के खिलाफ था.
साथ ही एक कारण यह भी माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा के 100 साल मुकम्मल होने पर हुए प्रोग्राम पीएम मोदी ने खिताब किया था. लेकिन इस प्रोग्राम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दावत भी नहीं दी गई थी.
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