बिना एक दूसरे को देखे हुई दोस्ती, फिर हुआ प्यार और आखिर में कर ली शादी; चर्चा का मौजूं बनी ये शादी
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बिना एक दूसरे को देखे हुई दोस्ती, फिर हुआ प्यार और आखिर में कर ली शादी; चर्चा का मौजूं बनी ये शादी

बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली एक नेत्रहीन लड़की और यूपी के एक नेत्रहीन लड़की की बीच हुई शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह विवाह यहां के लोगों के लिए एक मिसाल बन गया. युवक और युवती दोनों फिलहाल अलग-अलग स्थानों पर नौकरी करते हैं. 

अलामती तस्वीर

मुजफ्फरपुरः कहते हैं कि प्यार अंधा होता है, जब इंसान प्रेम में होता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता है. लेकिन जब प्रेमी और प्र्रेमिका दोनों खुद नेत्रहीन हो तो भी बिना एक दूसरे को देखे उनके बीच प्यार हो जाना मुमकिन है. ऐसा एक मामला बिहार और यूपी के दो नेत्रहीन जोड़ों के साथ पेश आया है, जिनके बीच शुरू हुई दोस्ती न जाने कब प्यार में बदल गई और फिर उन दोनों ने शादी कर ली. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मनियारी थाना क्षेत्र के मधौल में नेत्रहीन युवक और युवती परिणय सूत्र में बंध गए. आज इस विवाह की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है. रूबी के पिता बताते हैं कि इस विवाह में रूबी और राजू के कई मित्र भी पहुंचे थे. यह विवाह यहां के लोगों के लिए एक मिसाल बन गया. युवक और युवती दोनों फिलहाल अलग-अलग स्थानों पर नौकरी करते हैं. 

जन्मजात नेत्रहीन नहीं थी रूबी 
ग्रामीणों के मुताबिक योगेंद्र पासवान की पुत्री रूबी जन्मजात नेत्रहीन नहीं है, लेकिन बाद में किसी कारणवश आंख की रोशनी चली गई. पिता ने कई डॉक्टरों के दरवाजे खटखटाए, कई मन्नतें मांगी लेकिन आखिर में वे अपनी बेटी को आंख की रोशनी नहीं लौटा सके. बाद में उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाने का निश्चिय किया और इसी पढ़ाई के आधार पर उसकी जिंदगी की आगे की राह आसान हो गई.  

पिता ने नेत्रहीन स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा दिल्ली 
मुजफ्फरपुर के मुशहरी में शिक्षा विभाग में कार्यरत योगेंद्र पासवान बताते हैं कि इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि नेत्रहीनों के लिए कई सामाजिक संस्थाएं हैं, जो नेत्रहीनों को बेहतर व्यवस्था देकर उन्हें योग्य बनाती हैं. इसी जानकारी के आधार पर उसने अपनी पुत्री को दिल्ली में ऐसी ही एक संस्था में दाखिला करवा दिया. इसी बीच रूबी पढ़ाई भी करने लगी. दिल्ली में ही रूबी की नेत्रहीन राजू कुमार से जान पहचान हो गई और दोनों मित्र बन गए. राजू वहीं स्नातक की पढ़ाई कर रहा था. बाद में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और फिर दोनों साथ में रहने का निश्चय कर लिया.

नेत्रहीन और दिव्यांगों का हौसला बढ़ाने को गांव से की शादी 
इसी बीच दोनों की मेहनत रंग लाई और दोनों को नौकरी भी मिल गई. राजू दिल्ली में भारतीय जीवन बीमा निगम में नौकरी करता है, जबकि रूबी लखनऊ के एक बैंक में लिपिक है. दोनों ने शादी करने का निश्चय तो कर लिया लेकिन रूबी की इच्छा गांव से शादी करने की थी. योगेंद्र कहते हैं कि बेटी का गांव से विवाह करने का मकसद नेत्रहीन, दिव्यांगों का हौसला बढ़ाना है कि अपनी मेहनत से सबकुछ हासिल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इतवार को पारंपरिक रीति रिवाज से रूबी और राजू परिणय सूत्र में बंध गए. 

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