नया कानून बन जाने पर किसी व्यक्ति के मवेशियों का वध करने पर रोक होगी, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो.
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गुवाहाटीः असम विधानसभा में मवेशियों के वध, उपभोग और परिवहन को विनियमित करने के प्रावधान वालास विधेयक शुक्रवार को पास किया गया. वहीं सरकार द्वारा एक प्रवर समिति को कानून को आगे बढ़ाने से इनकार करने के विरोध में विपक्षी दलों ने सदन से बहिर्गमन किया. विधानसभा सदर बिस्वजीत दैमरी द्वारा असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 को पारित करने की घोषणा करते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्यों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और मेज थपथपाई. जब विधेयक पर चर्चा हो रही थी तो एकमात्र निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई सदन से बहिर्गमन कर गए. इस कानून के जरिये यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि हिंदू, जैन, सिख और अन्य गैर-बीफ खाने वाले समुदायों या मंदिर और किसी भी अन्य संस्थान के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में पशु वध की अनुमति न दी जाए, जैसा कि अधिकारियों के जरिए तय किया जा सकता है. इस नए कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे.
Extremely happy and proud to fulfill our poll promise with the passing of historic Assam Cattle Preservation Act, 2021.
I'm sure this will deal a heavy blow to the illegal cattle trade & transit through Assam, ensuring due care of cattle as practised in our tradition for ages. pic.twitter.com/9RZ4z4iCYd
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 13, 2021
बिल को प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव खारिज
इससे पहले, विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि अधिक विशेषज्ञ राय ली जानी चाहिए और प्रस्तावित कानून पर परामर्श किया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता ने सरकार से इसे आगे के विश्लेषण के लिए एक प्रवर समिति के पास भेजने का आग्रह किया और इसका एआईयूडीएफ और माकपा ने भी समर्थन दिया. माकपा के मनोरंजन तालुकदार ने दावा किया कि विधेयक लोगों के खाने के अधिकार को प्रभावित करेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां गोमांस खाने वाले समुदाय अल्पसंख्यक हैं, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कानून पर चर्चा पर अपने जवाब के दौरान प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
कानून किसी को भी ‘बीफ’ खाने से रोकने का इरादा नहीं रखता
सरमा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि विधेयक के पीछे कोई गलत मंशा नहीं है और दावा किया कि यह सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून किसी को भी ‘बीफ’ खाने से रोकने का इरादा नहीं रखता है, लेकिन जो व्यक्ति यह खाता है, उसे दूसरों की धार्मिक भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे और अधिक पसंद करूंगा यदि आप (सदन में मुस्लिम विधायकों का जिक्र करते हुए) गोमांस बिल्कुल नहीं खाते हैं, हालांकि मैं आपको इससे नहीं रोक सकता. मैं आपके अधिकार का सम्मान करता हूं. संघर्ष तब शुरू होता है जब हम दूसरे के धर्म का सम्मान करना बंद कर देते हैं.
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी मुसलमानों की भी
धार्मिक अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी एआईयूडीएफ विधायकों को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा कि उन्हें यह सुनिश्चित करने की पहल करनी चाहिए कि उनके गोमांस खाने से हिंदुओं या किसी अन्य समुदाय की भावनाएं आहत न हों. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए केवल हिंदू ही जिम्मेदार हों, मुसलमानों को भी इसमें सहयोग करना चाहिए.’’ गायों के वध को रोकने के निर्णय का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हम (हिंदू) गायों की पूजा करते हैं. यही मूल बात है.’’
सिर्फ वैध दस्तावेज पर ही होगा पशुओं का वध
विधेयक के आर्थिक नतीजों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कमाई के लिए गोहत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने हिंदू धर्म और भारत में गाय के महत्व और सम्मान पर जोर देने के लिए महात्मा गांधी के कई लेखों का हवाला दिया. नया कानून बन जाने पर किसी व्यक्ति के मवेशियों का वध करने पर रोक होगी, जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो. नये कानून के तहत यदि अधिकारियों को वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं तो राज्य के भीतर या बाहर गोवंश के परिवहन की जांच होगी. हालांकि, किसी जिले के भीतर कृषि उद्देश्यों के लिए मवेशियों को ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
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