"2000 के नोट वापस लेने का फैसला थूक कर चाटने जैसा; 16-17 सौ करोड़ रुपये में छपे थे नोट"
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"2000 के नोट वापस लेने का फैसला थूक कर चाटने जैसा; 16-17 सौ करोड़ रुपये में छपे थे नोट"

2000 Rupee Note: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ 2000 के नोट को बंद करने के फैसले पर विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार घेर रही हैं. साथ ही RBI से सवाल पूछ रही हैं कि आखिर यह फैसला क्यों लिया गया, इसके पीछे की वजहें क्या है? इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ मके मुख्यमंत्री ने बड़ा बयान दिया है. पढ़िए पूरी खबर

"2000 के नोट वापस लेने का फैसला थूक कर चाटने जैसा; 16-17 सौ करोड़ रुपये में छपे थे नोट"

2000 Rupee Note: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अचानक 2000 के नोटों के चलन से बाहर करने के फैसले से एक बार फिर विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. ना सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि तमाम विपक्षी दलों ने इस फैसले पर केंद्र सरकार पर हमले करने शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghail) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इस फैसले को "थूक कर चाटने वाला" करार दिया है. 

20 मई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के स्टेडियम में सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे बघेल ने केंद्र सरकार पर हमला बोला. शपथ ग्रहण समारोह के बाद मीडिया के सवालों के जवाब में बघेल ने "केंद्र सरकार अपने ही इस फैसले को 7 वर्षों के बाद वापस ले रही है. यह उनके लिए 'थुक कर चाटने' जैसे है." बघेल ने RBI से भी इस फैसले के पीछे के कारणों को जानना चाहा. उन्होंने कहा कि नोट बंद क्यों किए गए हैं?

उन्होंने RBI से सवाल दागते हुए पूछा,"वैसे तो आपने 2019 में ही 2000 के नोट छापने बंद कर दिए थे फिर 2023 में अचानक बंद करने का फैसला क्यों लिया गया. आखिर इसके पीछे की वजहें क्या हैं?" अपने ही फैसले को वापस लिया जा रहा है. उन्होंने केंद्र सरकार पर घेरते हुए कहा कि 2016 में आपने यह नोट लागू किया और 2023 में वापस ले रहे हैं. यह उनके लिए थूक कर चाटने जैसा है. 

इस दौरान बघेल ने मीडिया को सलाह देते हुए कहा,"आप लोगों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सवाल पूछने चाहिए कि उसने नोट बंद करने का फैसला क्यों लिया? सरकारी पैसों का इसी तरह गलत इस्तेमाल करेंगे." बघेल ने एक आर्टिकल के हवाले से बताया कि नोट छापने में 16-17 सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. देश को टैक्स भरने वालों के पैसों का यह गलत इस्तेमल है. आप जो चाह रहे हैं कर रहे हैं. आपका मन हुआ कि लागू करना है तो लागू कर दिया और अब बंद करने का मन किया तो बंद कर देंगे. 

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