उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक प्रोग्राम में चीफ जस्टिस एन वी रमण ने जहां संसद में वकीलों की संख्या कम होने पर चिंता जताई वहीं, संसद में किसकी संख्या ज्यादा बढ़ी है, इसपर वह चुप्पी साध गए.
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नई दिल्लीः भारत के चीफ जस्टिस एन वी रमण ने सोमवार को कहा कि पहले संसद में कानूनी पेशेवरों का वर्चस्व होता था, जिन्होंने उत्कृष्ट संविधान और त्रुटिरहित कानून दिए हैं, लेकिन अब संसद में वकीलों की तादाद कम हो गई है; और उनकी जगह दूसरों ने ले ली है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को सम्मानित करते हुए, भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘धनकड़ का पद पर निर्वाचन हमारी स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं और समृद्ध संवैधानिक मूल्यों का सम्मान है.’’ सीजेआई ने कहा, ‘‘यह इस बात का सबूत है कि हमारा प्रगतिशील संविधान सभी को मौके देता है, चाहे उनकी जाति, पंथ, धर्म, क्षेत्र और वित्तीय स्थिति कुछ भी हो.’’
मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता
न्यायमूर्ति रमण ने कहा है कि यह लोकतंत्र की ताकत है कि एक वरिष्ठ अधिवक्ता धनखड़ मुल्क के दूसरे सर्वोच्च पद पर पहुंचे जबकि उनकी पृष्ठभूमि ग्रामीण थी और उनका कोई राजनीतिक सरपरस्त नहीं था. न्यायमूर्ति रमण ने मुल्क के स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में कानूनी बिरादरी के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘संविधान सभा में और हमारी संसद के शुरुआती दिनों में, सदन में कानूनी पेशेवरों का वर्चस्व था. इसके नतीजे में हमें उत्कृष्ट संविधान और त्रुटिरहित कानून मिले हैं. लेकिन आजकल वकीलों की तादाद कम हो गई है और उनकी जगह दूसरों ने ले ली है. मैं आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.’’
सीजेआई को धनखड से उम्मीद
न्यायमूर्ति रमण ने कहा है कि धनखड़ के अनुभव और राज्यसभा के सभापति कार्यालय से मार्गदर्शन से, वह उम्मीद और भरोसा करते हैं कि कानूनों की गुणवत्ता में यकीनी तौर पर सुधार होगा. न्यायमूर्ति रमण के अलावा, कानून मंत्री किरेन रीजीजू, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सद्र विकास सिंह भी धनखड़ के सम्मान कार्यक्रम में मौजूद थे. धनखड़ एक सीनियर वकील होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर चुके हैं.
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