Delhi news: लिव इन पार्टनर ने एक करोड़ रुपये ऐंठने के चक्कर में प्रेम के मामले को बदलकर लव जिहाद का मामला बना दिया है. और एक मुस्लिम डॅाक्टर को इसमें आरोपी बनाया है लेकिन एससी ने डॅाक्टर को राहत दी है.
Trending Photos
Delhi news: सुप्रीम कोर्ट ( SUPREME COURT ) ने शादी का झांसा देकर हिंदू महिला का बलात्कार करने के आरोपी एक मुस्लिम डॉक्टर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ( JUDGE ANIRUDH BOSS ) और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ( JUDGE RAJESH BINDAL ) की अवकाशकालीन पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा.और जबकि याचिकाकर्ता को सुनवाई की अगली तारीख तक मामले के पंजीकरण के स्थान मुरादाबाद में प्रवेश नहीं करने का निर्देश दिया.
महिला शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने डॉ अब्दुल कादिर को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा पर आपत्ति जताई. और कहा कि डॉक्टर एक करोड़पति है और तर्क दिया कि यह लव जिहाद का मामला है.
वकील ने कहा कि आरोपी डॉक्टर ने शादी का झांसा देकर शिकायतकर्ता के साथ यौन संबंध बनाए.
कोर्ट की सख्त हिदायत
डॉक्टर के वकील की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा हम याचिकाकर्ता को मुरादाबाद में दर्ज मामले में सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हैं. अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता सुनवाई की अगली तारीख तक मुरादाबाद में प्रवेश नहीं करेगा और शिकायतकर्ता के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संचार नहीं करेगा.
पेट के गैस से हैं परेशान तो खाने में करें ये फल शामिल
करोड़ो रूपये ऐंठने को चक्कर में लव जिहाद का दिया एंगल
याचिकाकर्ता ने 10 मई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ( ALLAHABAD HIGH COURT ) के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया. जिसने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.अधिवक्ता जी. इंदिरा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इस मामले में मूल मुद्दा यह है कि एक करोड़ रुपये ऐंठने के चक्कर में प्रेम के मामले को बदलकर लव जिहाद का मामला बना दिया है.याचिका में कहा गया है कि शुरुआत से ही वकील का प्रयास याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के रिश्ते को एक राजनीतिक और धार्मिक रंग देना है.
2019 में लिव-इन रिलेशनशिप थे याचिकाकर्ता
दलील में कहा गया है कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता वर्ष 2019 में लिव-इन रिलेशनशिप में थे. लेकिन बाद में रिश्ते में खटास आ गई. इसके बाद शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ लिखित रूप से मामला दर्ज किया. उसने यहां तक लिखा है कि याचिकाकर्ता ने अपना नाम कबीर बताते हुए खुद को एक हिंदू पुरुष के रूप में पेश किया था.जो मामले के रिकॉर्ड के विपरीत है.