राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान धर्म के नाम पर बनाया गया था, लेकिन यह जल्द ही दो हिस्सों में क्यों बंट गया जबकि दोनों देश में मुसलमान थे.
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जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के सदस्य देश में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने के लिए लोगों को भड़का रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन जाता है, तो क्या ऐसा बना रह पाएगा? उन्होंने यह भी इल्जाम लगाया कि भगवा पार्टी ने कभी एससी/एसटी समुदायों को गले नहीं लगाया, लेकिन आज वे वोट की उम्मीद में कह रहे हैं कि वे भी हिंदू हैं.
धर्म के नाम पर देश बन सकते हैं, पर देश एक व अखंड रहेगा ये कोई गारंटी नहीं है हमने अपने पड़ोस में देखा है।
धर्म के नाम पर जो ये भड़का रहे हैं लोगों को आप सोचिए इनकी सोच क्या है.. क्या धर्म के नाम पर,हिंदू धर्म के नाम पर ये हिंदू राष्ट्र बनाकर इस देश को एक व अखंड रखेंगे? रख पाएंगे? pic.twitter.com/AF0tu6gB5L— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) June 22, 2022
पड़ोसी मुल्क तो धर्म के नाम पर बनाया गया था
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की मिसाल देते हुए गहलोत ने कहा कि मैं बीजेपी, आरएसएस के नेताओं से पूछना चाहता हूं कि आप कब तक हिंदू धर्म के नाम पर लोगों को भड़काते रहेंगे? हमारे सामने एक उदाहरण है; हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान धर्म के नाम पर बनाया गया था, लेकिन यह जल्द ही दो हिस्सों में क्यों बंट गया जबकि दोनों देश में मुसलमान थे?“ उन्होंने सवाल किया कि इंदिरा गांधी के वक्त में 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था. हालांकि यह अलग बात है कि मोदी इंदिरा गांधी का नाम नहीं लेते हैं.
धर्म के नाम पर बने देश की गारंटी नहीं
गहलोत ने कहा कि धर्म के नाम पर देश बनाना एक बात है, लेकिन इसे बनाए रखना दूसरी बात है. मैं खुद 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों की सेवा करने के लिए सीमा पर गया था, इसलिए मुझे पता है कि हालात क्या थे? फिर मुझे बताओ, क्यों एक धर्म के नाम पर दो देश बने? इसका मतलब है कि धर्म के नाम पर देश बन सकते हैं, लेकिन यह गारंटी नहीं है कि यह एक रहेगा. यह हमने अपने पड़ोस में देखा है.“
भाषा के नाम पर भड़क जाते हैं यहां के लोग
गहलोत ने कहा कि आज वे हिंदू राष्ट्र की बात करके लोगों को भड़का रहे हैं. हाल ही में अमित शाह जी ने हिंदी के बारे में 2 शब्द बोले और पूरा दक्षिण भारत विरोध में खड़ा हो गया. अमित शाह जी को यह कहते हुए अपने शब्द वापस लेने पड़े कि उनके कहने का मतलब यह नहीं था. जब देश के लोग भाषा के नाम पर भड़क जाते हैं, तो आप सोच सकते हैं कि धर्म के नाम पर उनकी क्या सोच हो सकती है? क्या यह देश धर्म के नाम पर, हिंदू धर्म के नाम पर एकजुट रह सकता है?
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