फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को लेकर सरकार जल्द ही एक बड़ा कानून ला सकती है. दरअसल कहा यह जा रहा है कि डिजिटल कंटेंट का कारोबार कर रही यह अब न्यूज पब्लिशर्स को भुगतान करेंगे. दरअसल न्यूज कंटेट और अलग-अलग वेबसाइट के ऑरिजनल कंटेट का इस्तेमाल करने पर इन कंपनियों को अपनी कमाई एक हिस्सा अदा करना पड़ेगा
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नई दिल्ली: गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियां हिंदुस्तान में जल्द ही न्यूज पब्लिशर के को उनके असल कंटेट के लिए भुगतान करना शुरू कर देंगी. इस पर कानून लाने के लिए सरकार भी योजना बना रही है. इतना ही नहीं सरकार ने इस बात का भी इशारा दिया है कि कंटेट का कारोबार करने वाली टेक कंपनियां, जैसे- गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, ट्विटर और अमेजन को भी भारतीय अखबारों, मीडिया हाउस के डिजिटल कंटेंट और अलग-अलग वेबसाइट के ओरिजनल कंटेंट का इस्तेमाल करने पर अपनी कमाई का हिस्सा देना पड़ेगा.
भारत सरकार के आईटी और इलेक्ट्रोनिक्स मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार इस पर गौर कर रही है. अभी देश में अलग-अलग न्यूज वेबसाइट्स के कंटेंट का फायदा सिर्फ बड़ी कंपनियां उठा रही हैं. ओरिजनल कंटेंट क्रिएटर्स को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है , जिसके लिए ऐसा कानून लाना जरूरी है. देश में अगर ऐसा कानून आता है, तो उसका फायदा मीडिया हाउस और ओरिजनल कंटेंट राइटर्स को मिलेगा. उनकी इनकम बढ़ेगी, जिसका फायदा अभी तक केवल टेक कंपनियों को मिल रहा था.
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आईटी मंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान में ओरिजनल कंटेंट बनाने वाले लोगों को सोशल मीडिया की ग्रोथ का फायदा नहीं मिल रहा है. साथ ही टेक कंपनियां भी अपने राजस्व में न्यूज पब्लिशर्स को कोई हिस्सेदारी नहीं दे रहे हैं. यही वजह है कि कानूनी तौर पर इस समस्या से निपटने पर विचार किया जा रहा है. यह हमारे लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है.
ऑस्ट्रेलिया ओरिजनल कंटेंट के लिए भुगतान का कानून लाने वाला पहला देश है. इसने बड़ी कंटेंट बिजनेस वाली कंपनियों को ओरिजनल कंटेंट के लिए भुगतान करने नया मीडिया कानून पास किया है. इसके पहले ऑस्ट्रेलिया में इस विषय पर काफी विवाद भी हुआ था. बात यहां तक पहुंच गई थी कि फेसबुक ने यहां समाचार कंटेंट को ब्लॉक कर दिया था, जिसके बाद पीएम ने फेसबुक को इसे लेकर चेतावनी भी दी थी और इन सब विवादों के बाद ऑस्ट्रेलिया कंटेंट के लिए भुगतान पर कानून बनाने वाला पहला देश बन गया. इसके बाद कनाडा, फ्रांस और स्पेन में भी इसे लेकर कानून बनाया जा चुका है.
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