सरकार ने पाकिस्तानी अल्पसंख्यक को दी थी भारत की नागरिकता, इस कांड में हुआ गिरफ्तार
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सरकार ने पाकिस्तानी अल्पसंख्यक को दी थी भारत की नागरिकता, इस कांड में हुआ गिरफ्तार

राजस्थान के भीलवाड़ा के बाद एक और पाकिस्तानी हिंदू को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.  इससे पहले 14 अगस्त को भीलवाड़ा निवासी 27 वर्षीय नारायण लाल गदरी को दौरान जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था.

भागचंद

जयपुरः राजस्थान पुलिस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के इल्जाम में एक पाकिस्तानी हिंदू को दिल्ली से गिरफ्तार किया है.जासूस 22 साल की उम्र में ही पाकिस्तान से भारत आ गया था और छह साल पहले उसे भारतीय नागरिकता भी मिल गई थी. 46 वर्षीय मुल्जिम भागचंद दिल्ली के भाटी माइंस स्थित संजय कॉलोनी में रह रहा था. उसकी गिरफ्तारी एक दूसरे आरोपी नारायण लाल गदरी से पूछताछ के बाद की गई है, जो इसी तरह के इल्जाम में भीलवाड़ा में पकड़ा गया था.
भागचंद पिछले तीन-चार साल से पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था और उन्हें सोशल मीडिया हैंडल चलाने के लिए भारतीय मोबाइल नंबर और सिम कार्ड मुहैया करा रहा था. उसे पेटीएम के जरिए जासूसी के एवज में पाकिस्तानी अफसर से पैसे मिलते थे.

डीजीपी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा ने बताया कि राजस्थान इंटेलिजेंस की टीम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी द्वारा राजस्थान और इसके आसपास के इलाकों में की जा रही जासूसी गतिविधियों पर लगातार नजर रखती है. 14 अगस्त को भीलवाड़ा निवासी 27 वर्षीय नारायण लाल गदरी को दौरान जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था. नारायण लाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

डीजी मिश्रा ने कहा कि पूछताछ करने पर उसने दिल्ली निवासी भागचंद के बारे में जानकारी दी. वह भी जासूसी के काम में लिप्त था और पाकिस्तानी अफसर के इशारे पर काम कर रहा था. भागचंद ने पाकिस्तानी हैंडलिंग अफसर से हासिल किए गए धन के साथ भाटी माइंस बाजार से एक सेकेंडहैंड कीपैड फोन खरीदा था. नारायण द्वारा भेजे गए ओटीपी को शेयर करके और सिम कार्ड डालकर पाकिस्तान में भारतीय मोबाइल नंबरों से सोशल मीडिया खातों को संचालित करने के लिए उसने व्हाट्सएप और सिग्नल एप डाउनलोड किया था.

गौरतलब है कि भागचंद का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. साल 1998 में 22 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली आ गया था. सरकार ने 2016 में उसे भारत की नागरिकता दे दी और वह दिल्ली में टैक्सी ड्राइवर का काम करने लगा. भागचंद के दूसरे रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं, और उन्हीं के जरिए वह तीन-चार साल से पाक अफसर के संपर्क में था. उसे जासूसी के लिए पेटीएम के जरिए बैंक खाते में पैसे मिलते थे. 

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