Assam government launches movable school in Guwahati: असम सरकार का एक चलता-फिरता स्कूल अल्पसंख्यक इलाकों में जाकर वहां के गरीब और वंचित समूह के बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहा है. सरकार के इस फैसले की लोग काफी तारीफ कर रहे हैं.
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गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद: अभी कुछ महीने पहले असम में कथित अवैध मदरसों और उनमें आतंकवादी गतिविधियों के नाम पर सरकार ने कई मदरसों को ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद भाजपा शासित असम सरकार ने मदरसों के सर्वे और उनके वेरिफिकेशन का आदेश भी दिया था, जिसके बाद सरकार अल्पसंख्यकों के निशाने पर आ गई थी. विपक्ष असम सरकार पर इस बात का इल्जाम लगाकर उसकी आलोचना कर रही है कि सरकार अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. लेकिन अब असम सरकार ने एक फैसला लिया है, जिससे न सिर्फ बहुसंख्यक समाज बल्कि अल्पसंख्यक समाज भी तारीफ कर रहा है. असम सरकार का यह फैसला दिल्ली के केजरीवाल सरकार के लिए भी एक सबक हो सकता है, जो अपने शिक्षा मॉडल का जोर-शोर से प्रचार कर रही है, और पिछले महीने असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वा शर्मा और और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच ट्विटर पर अपने-अपने प्रदेश के शिक्षा मॉडल को लेकर आपस में भिड़ गए थे.
मुस्लिम बहुल इलाके में लगती है ये स्कूल बस
असम सरकार ने यहां बस में एक मूवेबल स्कूल खोला है, जो गांव के ऐसी बस्तियों में जाकर बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं, जहां के बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. इन बच्चों में ज्यादातर ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है. वह बच्चे या तो दिन भर यूं ही घर के आसपास भटकते हैं या फिर कचरा चुनने का काम करते हैं. यह बच्चे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवार के बच्चे हैं. ये बस वाला स्कूल जिन इलाकों के बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहा है, उनमें ज्यादातर इलाके मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं.
स्कूल में पढ़ाई के अलावा मिल रही है दूसरी सुविधाएं
बस में स्कूल के इस कॉन्सेप्ट को पिछले 15 अगस्त से शुरू किया गया था और अब तक इसमें लगभग 40 बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा रहा है. सरकार के इस योजना को मिल रहे जन समर्थन और तारीफ के बाद असम सरकार ने आने वाले दिनों में राज्य के दूसरे हिस्सों में भी ऐसे स्कूल खोलने की योजना पर काम कर रही है. खास बात यह है कि इस स्कूल में बच्चों को मुफ्त में कॉपी, किताब, कलम, स्कूल ड्रेस और दोपहर में मुफ्त में खाना भी दिया जा रहा है. यही वजह है कि वंचित समूह और समुदाय के इलाके में पढ़ाई का तरीका बच्चों और उनके अभिभावकों दोनों को काफी पसंद आ रहा है.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सुझाव पर सरकार ने लिया फैसला
स्कूल में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका के मुताबिक, स्कूल का यह यूनिक आइडिया असम गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा का है. सबसे पहले चीफ जस्टिस ने इस संदर्भ में सरकार से इस तरह के स्कूल खोलने की बात कही थी. चीफ जस्टिस ने कहा था कि गुजरात के कुछ इलाकों में ऐसे किसी स्कूल के बारे में उन्हें पता चला है, तो अबर गुजरात में ऐसे स्कूल चल सकते हैं तो असम सरकार क्यों नहीं ऐसे स्कूल चलाती है ? इसके बाद प्रयोग के तौर पर गुवाहाटी में ऐसे स्कूल चलाए गए हैं.
पढ़ लिखकर पुलिस अफसर बनना चाहता है यहां के छात्र
इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र बेहद खुश हैं. वह खुद रोज तैयार होकर स्कूल ड्रेस में बस वाले स्कूल में पढ़ाई करने पहुंच रहे हैं. इस स्कूल में पढ़ रहे एक बच्चे जिसका नाम हाफिजुर रहमान है, उसने बताया कि मैं इस स्कूल से बहुत खुश हूं. मैं यहां रोज पढ़ाई करने आता हूंं. मैं बड़ा होकर एक पुलिस अफसर बनना चाहता हूं.
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