हराम है कीमत बढ़ाने के लिए वस्तुओं की 'जमाखोरी' करना; कुरआन में है सख्त सज़ा का जिक्र
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हराम है कीमत बढ़ाने के लिए वस्तुओं की 'जमाखोरी' करना; कुरआन में है सख्त सज़ा का जिक्र

जमाखोरी करना गुनाह है. इस्लाम में इसके बारे में बताया गया है. जो शख्स जमाखोरी करता है उस पर अल्लाह की फिटकार होती है. इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि जमाखोरी के बारे में इस्लाम क्या कहता है?

हराम है कीमत बढ़ाने के लिए वस्तुओं की 'जमाखोरी' करना; कुरआन में है सख्त सज़ा का जिक्र

जिस तरह किसी देश की सरकारें ज़रूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत बढ़ाने की गरज से उनकी जमाखोरी करने के खिलाफ कानून बनकर उसे अवैध करार देती हैं, और ऐसा करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करती हैं, उसी तरह इस्लाम में भी इस अमल को हराम करार दिया गया है. इस्लाम में जमाखोरी को गलत बताया गया है. अक्सर व्यापारी किसी चीज को जमा कर लेते हैं. उसे बाजार में नहीं लाते हैं, उसकी पहले फर्जी कमी पैदा करते हैं. ऐसा करने से बाजार में उस चीज की कमी होने पर उसके रेट बढ़ जाते हैं. उसके बाद व्यापारी जमा किया हुआ माल बाजार में लाते हैं और उससे महंगी कीमतों पर बेचकर खूब मुनाफा कमाते हैं. अक्सर व्यापारियों की ये सोच होती है. इसी पर प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने चोट की है, क्योंकि इस सोच से इंसान बेरहम और लालची हो जाता है, जबकि इस्लाम लोगों के साथ दया दिखाने की ताकीद करता है.

जमाखोरी करने वाला शख्स गुनहगार है

आपको बता दें कि जमाखोरी सिर्फ अनाज की नहीं होती है. इसमें तेल, घी, चीनी और रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें शामिल होती हैं. अगर कोई शख्स इन चीजों को जमा करेगा तो वह गुनहगार होगा. इस बारे में हदीस में जिक्र है कि "प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: जिस व्यापारी ने जमाखोरी की वह गुनहगार है." (हदीस: अल-मुंतका)

जमाखोरी से अल्लाह नाराज होता है

एक दूसरी हदीस है कि "प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया: जो व्यापारी जरूरत की चीजों को नहीं रोकता, बल्कि वक्त रहते बाजार में लाता है, वह अल्लाह की रहमत का हकदार है, अल्लाह उसे रोजी देगा. हां, आम जरूरत की चीजों को रोकने वाले पर खुदा की फिटकार है." (हदीस: इब्ने-माजा)

जमाखोरी के बारे में अहम बातें

जमाखोरी के बारे में प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने कहा है कि कितना बुरा है जरूरत की चीजों को रोके रखने वाला आदमी. अगर भाव गिरता है, तो वह मायूस होता है और जब महंगाई होती है, तो वह खुश होता है.
प्रोफोट मोहम्मद (स.) ने यह भी बताया कि किसी व्यापारी के लिए यह जायज नहीं कि वह कोई माल बेचे और उसका नुक्स खरीददार को न बताए.
प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने ये भी कहा है कि जो शख्स खरीद-फरोख्त में नरमी रखता है, उसके साथ अल्लाह ताला रहम का मामला करता है.
किसी की जमीन हड़पने पर कयामत के दिन उस शख्स की पकड़ होगी.
इसी तरह से मजदूरी के बारे में प्रोफेट मोहम्मद (स.) ने फरमाया है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दे दो.

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