औरत या मर्द किसी को नहीं है कोई विशेष छूट; आज से ही इन कामों से कर लें तौबा
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औरत या मर्द किसी को नहीं है कोई विशेष छूट; आज से ही इन कामों से कर लें तौबा

Islamic Knowledge: इस्लाम में कुछ हिदायतें हैं जो मर्द और औरतों को एक तरह की दी गईं हैं. इसमें किसी तरह का भेद नहीं किया गया है. इस खबर में हम इसी के बारे में बता रहे हैं.

औरत या मर्द किसी को नहीं है कोई विशेष छूट; आज से ही इन कामों से कर लें तौबा

Islamic Knowledge: अल्लाह ताला ने मर्दों और औरतों को एक ही राह बताई है. ऐसा नहीं है कि उसने औरतों को कमतर और मर्दों को ऊंचा दर्जा दिया है. इसीलिए इस्लाम में दोनों के लिए एक तरह की हिदायतें दी गईं हैं. मर्द और औरत दोनों एक ही मोर्चे के सिपाही हैं.

आपसी ताल्लुकात
अल्लाह ने इंसानों को कुरान में एक जगह यह एहसास दिलाने की कोशिश की है कि दीन के बेहतरीन रिश्ते की बिना पर उन में जो भाई चारा है, इसे कायम रखने के लिए उन्हें आपस के ताल्लुकात दुरुस्त रखने के लिए उन बुराइयों को भुला देना चाहिए. इससे आपसी ताल्लुकात अच्चे होते हैं.

ऐब न निकालो
एक दूसरे की इज्जत पर हमला, एक दूसरे की दिल आजारी, एक दूसरे से बदगुमानी, एक दूसरे के ऐबों को निकालना. ये सारी ऐसी चीजें हैं, जिससे इंसानों में दूरियां पैदा होती हैं. इसी के साथ कई चीजों के मिलने से बड़े फितने पैदा होते हैं. इनसे इस्लाम ने मर्द और औरतों को मना किया है.

मजाक उड़ाने पर मनाही
इस्लाम में किसी शख्स का मजाक उड़ाना, उसकी नकल उतारना या कोई ऐसा काम जिससे अगला शख्स अपने आपको नीचा समझे या उसे तकलीफ हो, इससे मना किया गया है. इससे अगले इंसान का दिल फटता है और उससे आपके रिश्ते खराब होते हैं. इससे आपसी दूरियां पैदा होती हैं. इस्लाम में इससे बचने के लिए कहा गया है. इस पर मर्द और औरत के लिए बराबर हिदायत दी गई है.

मर्द औरत के लिए हिदायत
इस्लाम में इस बात के लिए भी मना किया गया है कि आप अपनी औरत का मजाक उड़ाएं. उस पर हंसे या तंज करें. किसी महफिल में अगर मर्द औरत हैं तो मर्दों को इस बात से मना किया गया है कि वह किसी औरत का मजाक उड़ाएं. यही बात औरतों से भी कही गई है कि वह अपनी महफिल में किसी मर्द का मजाक नहीं उड़ाएं.

आपसी ताल्लुकात न बिगाड़ें
चोटें करना, फितना कसना, इल्जाम लगाना, ऐतराज जड़ना, ऐब चीनी करना और खुल्लम-खुल्ला या जेर लब किसी को निशाना बनाना. ये सब काम आपसी ताल्लुकात को बिगाड़ता है, इसलिए इन कामों को मर्द और औरतों के लिए हराम करारा दिया गया है. 

बुराई करने के मामले में
उलेमा यह मानते हैं कि जब कोई शख्स किसी के बारे में कुछ बुरा कहता है, तो वह पहले अपने अंदर बुराई पैदा कर चुका होता है. इसके बाद वह बुराई उसके मुंह से बाहर निकलती है. इस तरह से वह अलगे शख्स को दावत दे रहा होता है कि वह उस पर जबान से कुछ कहे या उस पर जबानी हमला करे. इससे भी ताल्लुकात खराब होते हैं. लिहाजा इस्लाम ने इन चीजों से मना किया है.

एक दूसरे की टोह
एक अख्लाकी हिदायत में कहा गया है कि दूसरों के राज न टटोलो, एक दूसरे के ऐब न तलाश करो, दूसरों के हाल और मामले की टोह न लेते फिरो, लोगों के निजी खत न पढ़ो, दो लोगों की बात कान लगाकर न सुनो, हमसायों के घर में न झांको. यह सब काम तसजुसस (जिज्ञासा) में आता है. इससे भी इस्लाम में मना किया गया है. यह भी मर्द-औरत के लिए लागू होता है.

गीबत के बारे में
अल्लाह ने कुरान में एक जगह फरमाया है कि "गीबत यह है कि तुम अपने भाई का जिक्र इस तरह करो, जो उसे नागवार गुजरे". कहने का मतलब है कि अगर आप किसी शख्स के बारे में इस तरह बात करते हैं कि अगर वह सुन ले, तो वह बुरा मान जाए गीबत है. इससे इस्लाम ने सख्ती से मना किया है. 

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