New Delhi: देश का कानून महावारी के समय महिलाओं को कई विशेष रियायत देता है. कई महिला संगठन इस बात को लेकर अवाज उठा चुके है, लेकिन देश की जानी मानी यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया से ऐसी घटना सामने आना एक चिंता का विषय है.
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New Delhi: मुल्क की टॉप फाइव रैंकिंग के अंदर आने वाली दिल्ली स्थित यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां M.A Mass Media के कुछ छात्रों ने इल्जाम लगाया है कि यहां हिंदी विभाग के एक टीचर, जिनका नाम डॉ. सुशील द्विवेदी बताया जा रहा है, उन्होंने एक छात्रा को एग्जाम हॉल से वॉशरूम जाने से जबरन रोक दिया.
एक और छात्रा ने टीचर से वॉशरूम जाने की गुजारिश करते हुए कहा कि बिना वाशरूम जाए वो एग्जाम देने में कंफर्टेबल नहीं है. इसके बाद टीचर डॉ. सुशील ने छात्रा के साथ गलत व्यवहार किया और एग्जाम हाल में उसे फटकार लगाते हुए बैठे रहने पर मजबूर किया. इसके बाद सहपाठियों ने इसको लेकर अवाज उठाई और इसकी लिखित शिकायत हिंदी विभाग के अध्यक्ष चंद्रदेव यादव को दी, लेकिन उन्होंने शिक्षक के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. विभाग के अध्यक्ष और शिक्षक के इस रवैय्ये से छात्रों में काफी गुस्सा और नाराजगी है.
UGC और महिला आयोग की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहा है हिंदी विभाग
देश का कानून महावारी के समय महिलाओं को कई विशेष रियायत देता है. कई महिला संगठन इस बात को लेकर अवाज उठा चुके है, लेकिन देश की जानी मानी यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया से ऐसी घटना सामने आना एक चिंता का विषय है. जहां एक छात्रा को महावारी के समय वॉशरूम जाने से रोका जाता है. और भरी कक्षा के बीच एक मेल टीचर उसकी बेइज्जती करता है. छात्रों को इस बात की शिकायत है कि जब उन्होंने इसकी लिखित कंप्लेन विभागाध्यक्ष से की तो उन्होंने शिक्षक के खिलाफ कोई एक्शन लेना तो दूर की बात है, उस टीचर को वार्निग तक नहीं दी.
क्या कहती है पीड़ित छात्रा
पीड़ित छात्रा ने डीन से शिकायत की और उनको बताया कि मुझे महावारी का समय चल रहा था. मुझे वॉशरूम जाना था, लेकिन टीचर ने मेरे साथ बदतमीजी की है, और मुझे वॉशरूम जाने नहीं दिया. इसके बाद हम सभी छात्रों ने इसकी शिकायत हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष से की लेकिन विभागाध्यक्ष ने टीचर पर कोई कार्रवाई की. इससे मैं बहुत ही आहत हूं. मैं अपना एग्जाम भी ठीक से नहीं दे पाई हूं. कुछ छात्रों ने कहा है कि वो उसकी शिकायत दिल्ली महिला आयोग में भी करेंगे. छात्राओं के साथ इस तरह की संवेदनहीनता ठीक नहीं है. ये महिलाओं अधिकारों और उनके स्त्रीत्व पर हमले के समान है.
इस मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वो उपलब्ध नहीं हो सके.
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