Waqf Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर बनाई गई समिति के सदस्य ए राजा ने जगदंबिका पाल पर नियमों का अल्लंघन करने का इल्जाम लगाया है. उनका मानना है कि मीटिंग में जो कुछ भी हुआ उसे उन्हें मीडिया के सामने नहीं बताना चाहिए था.
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Waqf Bill: द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सांसद और वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संसदीय समिति के सदस्य ए. राजा ने बुधवार को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर एक विपक्षी सदस्य की तरफ कांच की बोतल तोड़ने की घटना के बारे में मीडिया से बात करने को नियमों का उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया. उन्होंने इल्जाम लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अनुभवी सांसद पाल जल्दबाजी में समिति की बैठकें कर रहे हैं, जिससे यह शक पैदा होता है कि यह समिति न्याय देने में सक्षम नहीं होगी. उन्होंने कहा कि इससे गोपनीयता खत्म होगी.
ए राजा ने क्या कहा?
राजा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह "दुर्भाग्यपूर्ण" है कि बैठक में जो कुछ हुआ, उसे उजागर करने के लिए अध्यक्ष ने यह जानते हुए भी एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया कि कार्यवाही गोपनीय है और इसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "बैठक में घटी अप्रिय घटना के बावजूद अध्यक्ष की तरफ से जिस तरीके से और जल्दबाजी में बैठक का संचालन किया गया, उससे सदस्यों एवं आम लोगों के मन में शक पैदा होता है कि न्याय नहीं मिल पायेगा. आइए, हम बाधाओं के बावजूद अपने लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए लड़ें."
पानी की बोतल तोड़ दी
वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में मंगलवार को उस समय बहुत ही नाटकीय घटनाक्रम हुआ जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा सदस्य अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस के बाद पानी वाली कांच की बोतल तोड़कर समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की तरफ फेंक दी. इस दौरान उनकी अंगुलियों में चोट आयी और उनका प्राथमिक उपचार किया गया.
मुस्लिम मामलों में हस्तक्षेप
इसके बाद समिति ने उन्हें एक दिन के लिए बैठक से निलंबित कर दिया. पाल ने बाद में इस अप्रिय घटना के बारे में पत्रकारों से बातचीत की और बनर्जी के पक्षपात के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने सभी को अपने विचार रखने की इजाजत दी है. समिति में भाजपा और विपक्षी सदस्यों के बीच विवादित विधेयक के मुद्दे पर बैठक की कार्यवाही को लेकर तीखी नोकझोंक हुई. सरकार ने इस विधेयक को जरूरी सुधार बताया है जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) के दलों ने इसे मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताते हुए इसकी निंदा की है.