एम एफ हुसैन केस से लेकर आर्टिकल 370 जैसे कई अहम फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस संजय किशन कौल सात साल बाद सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए हैं. रिटायरमेंट के बाद अपने खास इंटरव्यू में उन्होंने बताया अपना रिटायरमेंट प्लान.
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बाद किशन कौल सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज में से एक थे. अब किशन कौल 25 दिसंबर 2023 को रिटायर हो चुके हैं. जस्टिस किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में छह साल और 10 महीने से ज्यादा वक़्त तक सेवा दी है. इसके दौरान उन्होंने कई अहम फैसले भी दिए और कई अहम फैसले देने वाली सवैंधानिक पीठ का भी हिस्सा रहे हैं. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए ख़ास इंटरव्यू में अपने भविष्य की योजनाओं पर बातचीत की. इस बातचीत के दौरान किशन कौल ने कहा कि वह अब सिर्फ़ आराम करना चाहते हैं और अपना ज्यादातर समय कश्मीर में ही बिताना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने 90 साल पुराने पुश्तैनी घर को फिर से बनवाने की योजना का जिक्र भी किया. जस्टिस कौल ने ये भी बताया कि झील के किनारे एक हेरिटेज प्रॉपर्टी से उन्हें पुनर्निमाण की मंज़ूरी मिल गई है. जहां वो अब अपने नाती-पोतों के साथ समय बिताना चाहते हैं.
जस्टिस कौल उस सवैंधानिक पीठ का हिस्सा थे जिन्होंने हाल ही में आर्टिकल 370 को लेकर अपना फैसला सुनाया था. कश्मीर के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि "हां, मेरी कश्मीर में खास रुचि है. मैं वहां अमन और चैन देखना चाहता हूं. मैंने अनुच्छेद 370 पर दिए फ़ैसले में जो लिखा, वही असल में मानता भी हूं. मैं जानता हूं कि इसकी कुछ आलोचना भी हुई, लेकिन मुझे इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. कश्मीर का बनना, इसका भारत में शामिल होना, और इस विलय की प्रक्रिया ख़ुद में ही एक केस है. मेरा मानना है कि इसे अब स्टेप बाइ स्टेप पूरे तरीक़े से भारत में शामिल कर देना चाहिए."
श्रीनगर में हुआ था जस्टिस कौल का जन्म
26 दिसंबर 1958 को जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में जस्टिस किशन कौल का जन्म हुआ था. जन्मे संजय किशन कौल कश्मीरी हिंदू ब्राह्मण दत्तात्रेय कौल परिवार से आते हैं. जस्टिस कौल के परदादा महाराजा सूरज किशन कौल जम्मू और कश्मीर रियासत की रीजेंसी काउंसिल में राजस्व मंत्री के पद पर थे. उनके दादा राजा उपिंदर किशन कौल भी देश की सार्वजनिक सेवा में अपना योगदान दे चुके हैं.
1982 में लॉ की बैचलर डिग्री की,2001 में दिल्ली हाईकोर्ट में बने न्यायाधीश
यूं तो जस्टिस किशन कौल का परिवार श्रीनगर में बसा था लेकिन किशन कौल की पढ़ाई दिल्ली में ही हुई. दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से उन्होंने इकॉनमिक्स (ऑनर्स) में ग्रैजुएशन किया, जिसके बाद 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की बैचलर डिग्री ली. बैचलर डिग्री के बाद 1982 में ही वे दिल्ली बार काउंसिल में बतौर एडवोकेट रजिस्टर हो गए. जस्टिस कौल ने एक वकील के रूप में दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस किया. 1987 में वे सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बन गए. इसके बाद दिसंबर 1999 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का पद दिया गया. इतना ही नहीं किशन कौल ने दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली यूनिवर्सिटी के सीनियर काउंसिल भी रहे. इसके बाद मई 2001 को दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल को एडिशनल जज नियुक्त किया फिर सितंबर 2012 में उन्हें हाईकोर्ट में सीजे के पद पर नियुक्त कर दिया गया.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज
जून 2013 में किशन कौल को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. 26 जुलाई 2014 को उन्हें मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया, जहां से उन्हें प्रमोशन मिला और 17 फरवरी 2017 को जस्टिस किशन कौल सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त कर दिए गए. जस्टिस किशन कौल सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज थे.
जस्टिस कौल के अहम फैसले
जस्टिस संजय किशन कौल सुप्रीम कोर्ट की उस नौ सदस्यीय संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे, जिसने निजता के मौलिक अधिकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. दिल्ली हाई कोर्ट के जज में रूप में 2008 में बहुचर्चित फैसला सुनाया था, जिसमें जस्टिस कौल ने एम एफ हुसैन के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया कि हुसैन ने अपनी पेंटिंग के जरिए भारत माता का अपमान किया था. अभी हाल ही में उन्होंने समलैंगिकता और अनुच्छेद 370 के मामले में भी एक अलग भूमिका निभाई.