Kisan Andolan Update: किसान नेता बोले, सरकार ने इरादे किए साफ, अब जो होगा....
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Kisan Andolan Update: किसान नेता बोले, सरकार ने इरादे किए साफ, अब जो होगा....

Kisan Andolan Update: किसान आंदोलन अब एक नया रुख लेने वाला है. सरकार की मांगों को रिजेक्ट करने के बाद अब किसान नेता पंढेर का बयान आया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि अब जो होगा उसकी जिम्मेमदार 

Kisan Andolan Update: किसान नेता बोले, सरकार ने इरादे किए साफ, अब जो होगा....

Kisan Andolan Update: किसानों और सरकार के बीच बात होने के बाद अब किसान लीडर सरवन सिंह पंढेर का बयान आया है. 'दिल्ली चलो' आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसानों के जरिए एमएसपी पर दालों, मक्का और कपास की खरीद के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज करने के कुछ घंटों बाद, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को चेतावनी दी है कि "अब जो भी होगा" उसके लिए वह जिम्मेदार होगी.

सरकार के साथ बातचीत हुई फेल

सरकार के साथ बातचीक फेल होने के बाद, प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐलान किया है कि वे बुधवार, 21 फरवरी को दिल्ली तक अपना मार्च जारी रखेंगे. पंढेर ने मंगलवार को कहा सरकार ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं, कि वह इस मार्च को दिल्ली में दाखिल नहीं होने देगी.

पंढेर ने क्या कहा?

पंढेर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान कहा,"सरकार की मंशा बिल्कुल साफ थी कि वे हमें किसी भी कीमत पर दिल्ली में घुसने नहीं देंगे... अगर आप किसानों के साथ बातचीत से समाधान नहीं निकालना चाहते हैं तो हमें दिल्ली की ओर मार्च करने की इजाजत दी जानी चाहिए." मार्च को रोकने के लिए पुलिस के जरिए अभूतपूर्व कदम उठाने का जिक्र करते हुए पंढेर ने कहा कि हरियाणा की हालत कश्मीर जैसी है.

सरकार के प्रस्ताव देने के पीछे क्या है मंशा?

पंढेर कहते हैं,"जब हम दिल्ली की ओर बढ़े तो गोलाबारी हुई...ट्रैक्टरों के टायरों पर गोलियां भी चलाई गईं...डीजीपी हरियाणा ने कहा है कि वे किसानों पर आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं...हम इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए सजा की मांग करते हैं." ..गलत बयान भी दिए जा रहे हैं...हरियाणा में हालात कश्मीर जैसे हैं. हम 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे...सरकार ने हमें एक प्रस्ताव दिया है ताकि हम अपनी मूल मांगों से पीछे हट जाएं... अब जो भी होगा उसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी.''

सरकार के प्रस्ताव को किया रिजेक्ट

किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत में तीन केंद्रीय मंत्रियों के एक पैनल ने रविवार को दालों, मक्का और कपास की फसलों को पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी एजेंसियों के जरिए खरीदने का प्रस्ताव रखा था. सोमवार को, प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह एमएसपी के लिए किसानों की मांग को "भटकाना और कमजोर करना" चाहती है.

क्या है किसानों की मांग

किसानों का कहना है कि वह स्वामिनाथन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी तय करना चाहते हैं. पंढेर ने कल कहा था कि सरकार को उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत दे देनी चाहिए. उन्होंने कहा,''हम 21 फरवरी को सुबह 11 बजे शांतिपूर्वक दिल्ली जाएंगे.''

क्या है सरकार का कहना

किसानों की मांग है कि सरकार सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर घोषित करने के लिए कानून बनाए. सरकार का कहना है कि सभी फसलों पर एमएसपी से राष्ट्रीय खजाने पर बोझ पड़ेगा. पंढेर ने सोमवार को कहा कि किसानों ने बैरिकेड नहीं तोड़े हैं और वे शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर बढ़ना चाहते हैं. वे जंतर-मंतर पर अपने विरोध प्रदर्शन के लिए जगह चाहते थे लेकिन सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी.

पंढेर ने कहा,"हम केवल अपनी मांगें पूरी कराना चाहते हैं, लेकिन अगर सरकार नहीं सुनती है तो हम मजबूर हैं. एक तरफ किसान हैं, दूसरी तरफ जवान (पुलिस और अर्धसैनिक बल) हैं. हमें कुछ नहीं चाहिए." बता दें, प्रदर्शनकारी अन्य मांगों के अलावा किसानों के लिए पेंशन, कर्ज माफी, 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम की बहाली की भी मांग कर रहे हैं.

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