MP: मध्य प्रदेश के धार से हैरान करने वाला मामला; मुर्दा क़रार दिए गये शख़्स की 2 साल बाद घर वापसी
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MP: मध्य प्रदेश के धार से हैरान करने वाला मामला; मुर्दा क़रार दिए गये शख़्स की 2 साल बाद घर वापसी

Dhar News: COVID-19 के कारण  मृत घोषित किए जाने के दो साल बाद जब एक शख्स घर लौटा, तो परिजनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. घर वापसी के बाद उसने बताया कि किस तरह इन दो बरसों में उसकी जिंदगी ही बदल गई.

सांकेतिक तस्वीर

Covid Dead Man Returns Home: मध्य प्रदेश के धार से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो आपको हैरान कर देगा. दरअसल, कोराना महामारी की दूसरी लहर में मुर्दा करार घोषित किया गया एक शख्स तकरीबन दो सालों के बाद जिंदा घर लौट आया है. उस शख्स की पहचान कमलेश के तौर पर की गई है. साल 2021 में जब कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचाई थी तो उस दौरान 35 साल के कमलेश को कोरोना की वजह से मुर्दा करार दे दिया गया था. वो शादीशुदा था. कोरोना की वजह से कथित मौत होने की वजह से उसकी लाश को परिवार को नहीं दिया गया था. 

मुर्दा करार दिया गया शख्स लौटा घर
परिवारजनों को शव मिलने के बाद उसका अंतिम संस्कार नियमों के मुताबिक कर दिया गया था. अब जबकि कमलेश तकरीब दो बरस के बाद अपने घर लौटा तो घरवालों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. साथ ही कमलेश बताया कि वो अहमदाबाद में एक गिरोह के शिकंजे में फंस गया था, जो उसको नशीला इंजेक्शन देते थे.  पीड़ित ने परिवार के लोगों को पूरी आपबीती सुनाई. कमलेश के साथ हुई घटना का जहां घरवालों को अफसोस हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें उसके जिंदा होने की खुशी भी है. मोहल्ले के लोगों का उसके घर तांता लगा हुआ है.

अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही
कमलेश के चचेरे भाई मुकेश पाटीदार ने बताया कि कमलेश कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बीमार पड़ गया था और बाद में अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मुर्दा करार दे दिया. उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने लाश को सौंपे जाने के बाद परिवार के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था. कानवन थाना प्रभारी राम सिंह राठौर ने बताया कि घरवालों के मुताबिक कमलेश पाटीदार 2021 में कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित हुआ था और उसे वड़ोदरा (गुजरात) के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया था. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उसे कोविड-19 वायरस के कारण मुर्दा करार दे दिया था, जिसके बाद परिवार के सदस्यों ने वडोदरा में अस्पताल द्वारा दिए गए शव का अंतिम संस्कार किया और फिर अपने गांव लौट आए.

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