मेघालय हाईकोर्ट ने कहा कि जबरन वैक्सीनेशन करना हिन्दुस्तानी आईन के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत मिले इंसानों के बुनियादी हक की खिलाफवर्जी करता है.
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नई दिल्लीः कोविड-19 से बचाव को वैक्सीन लगवाने के लिए फोर्स करने के खिलाफ हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया है. मेघालय हाईकोर्ट ने कहा कि जबरन वैक्सीनेशन करना हिन्दुस्तानी आईन के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत मिले इंसानों के बुनियादी हक की खिलाफवर्जी करता है. अदालत ने कहा कि दुकानदारों, ड्राइवर और कारोबारियों को अपना काम दोबारा शुरू करने के लिए एक शर्त के तौर पर वैक्सीन लगाने के लिए मजबूर करना असंवैधानिक अमल होगा. अदालत ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह तंकीद की है. कोर्ट के फैसले के बाद राज्य के प्रधान सचिव ने कहा कि वैक्सीन अनुपालन पर मौजूदा आदेशों में संशोधन किया जाएगा.
सरकार नागरिक के बुनियादी हक को कम नहीं कर सकती
चीफ जस्टिस विश्वनाथ सोमददर और जस्टिस एचएस थांगखियू की बेंच ने यह भी कहा कि टीकाकरण अभी वक्त की जरूरत है और कोविड -19 वबा के से बचने के लिए एक निहायत ही जरूरी कदम है. लेकिन सरकार ऐसी कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है जो आईन के अनुच्छेद 19 (1) के तहत मिले आजीविका के बुनियादी हक को किसी तरह से कम करता हो. कोर्ट ने अपने फैसले में जिक्र किया कि तकरीबन 107 साल पहले, न्यूयॉर्क हॉस्पिटल्स के लोएंड्रोफ वी सोसाइटी में, एनवाई जस्टिस कार्डोजो ने फैसला सुनाया था कि एक बालिग और सेहतमंद दिमाग के इंसान को यह तय करने का हक है कि उनके जिस्म के साथ क्या किया जाना चाहिए.’’
राज्य में बढ़ रहे है कोविड के मामले
गौरतलब है कि मेघालय में भी कोरोना का केस लगातार बढ़ रहा है. राज्यों में कोविड 19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए मेघालय सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने 23 अप्रैल से दूसरे राज्यों के पर्यटकों को मेघालय में प्रवेश देने पर रोक लगा दी है यानी कि 23 अप्रैल से दूसरे राज्य के लोग मेघालय घूमने नहीं जा सकेंगे. मुख्यमंत्री संगमा ने एक ट्वीट में कहा था कि 23 अप्रैल 2021 से मेघालय दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों के अपने दरवाजे बंद कर देगा, हालांकि स्थानीय पर्यटन जारी रहेगा.
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