पंजाब कांग्रेस के नए "कैप्टन" बने Navjot Singh Sidhu, इन 4 नेताओं को बनाया कार्यकारी अध्यक्ष
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पंजाब कांग्रेस के नए "कैप्टन" बने Navjot Singh Sidhu, इन 4 नेताओं को बनाया कार्यकारी अध्यक्ष

Navjot Singh Sidhu के अलावा संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है.

File Photo

नई दिल्ली / Ashif Aqbal : पंजाब कांग्रेस में कलह के बीच आखिर कार नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से जारी किए गए पार्टी सर्कुलर के मुताबिक पंजाब में सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) को हटाकर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. उनके साथ संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. 

इस मौके पर वेणुगोपाल ने हटाए गए सुनील जाखड़ के कामों की तारीफ की है. साथ ही पंजाब में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए कुलजीत सिंह नागरा से सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा के प्रदेश प्रभारी का पद वापस ले लिया है. चुनावों से पहले सिद्धू की पंजाब में हुई इस ताजपोशी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए झटका माना जा रहा है.

पंजाब कांग्रेस के "कैप्टन" को लेकर बहुत दिनों से उठापटक चल रही थी. यह समझ से परे था कि आखिर किसकी बात मानी जाएगी. कैप्टन अमरिंदर सिंह की या फिर नवजोत सिंह सिद्धू की. आखिरकार फैसला हुआ नवजोत सिंह सिद्धू की हिमायत में. आखिर क्यों कैप्टन पर भारी पड़ गए नवजोत सिंह सिद्धू. आइए आपको समझाते हैं इसके पीछे की वजह.

नवजोत सिंह सिद्धू का दावा इसलिए बहुत मजबूत नजर आ रहा था क्योंकि उनके साथ गांधी परिवार की सदस्य और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बहुत मजबूती के साथ खड़ी नजर आ रही थी और नवजोत सिंह सिद्धू इसी बात से आश्वस्त नजर आ रहे थे इसीलिए वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के मान मनोबल के बजाय दूसरे लोगों को मनाने का काम कर रहे थे. जिसमें सुनील जाखड़ हों या फिर लालसिंह हों. 

कांग्रेस के कद्दावर और पुराने नेताओं को साधने में नवजोत सिंह सिद्धू लगे हुए थे क्योंकि उनको दिल्ली आलाकमान से जो आदेश हो रहा था वह मानते नजर आ रहे थे. दूसरी तरफ कैप्टन भी अपनी तमाम जद्दोजहद में लगे हुए थे. कैप्टन ने नवजोत सिंह सिद्धू को रोकने के लिए प्रताप बाजवा से भी हाथ मिला लिया, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह के धुर विरोधी माने जाते रहे हैं. अब हमको यह भी समझना होगा कि क्या यह लड़ाई यहीं खत्म हो जाएगी या फिर नवजोत सिंह सिद्धू के ऐलान के बाद जंग आगे भी जारी रहेगी.

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