NEET Medical Admission: देश में मेडिकल एजुकेशन के लिए होने वाले नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट के विरोध में राज्य सभा में हो रही चर्चा के दौरान शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मेडिकल एडमिशन में होने वाले भ्रष्टाचार की परते उधेड़ कर रख दी. साथ ही उन्होंने यह समझाने की कोशिश की एडमिशन के लिए लागू NEET पैटर्न लागू होने के बाद किस तरह एडमिशन में होने वाले भ्रष्टाचार पर सरकार ने लगाम लगाई है.
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नई दिल्ली: संसद के राज्यसभा में शुक्रवार को एक प्राइवेट मेंबर बिल पर हो रही चर्चा में देश में मेडिकल एजुकेशन को लेकर ऐसी बातें निकलकर सामने आई है, जिसपर एक आम आदमी के लिए भरोसा करना न सिर्फ मुश्किल होगा, बल्कि इससे उसका पूरे सिस्टम से हमेशा के लिए भरोसा उठ जाएगा.
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) पर चर्चा के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि इस वक्त देश में विपक्ष ऐसा माहौल बना रहा है जैसे हमने नीट (NEET) के जरिए राज्यों के अधिकार छीन लिए हों और विद्यार्थियों के साथ कोई बड़ी नाइंसाफी कर दी हो.
पोस्ट ग्रेजुएशन की एक सीट 8-8 करोड़ रुपए में बिकती थी
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पहले की सरकारों में मेडिकल में एडमिशन का जिक्र करते हुए कहा, "पहले मेडिकल एजुकेशन एक बिजनेस का अड्डा बन गया था. जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था और नीट ला रहा था, उस वक़्त चर्चा इस बात की होती थी कि पोस्ट ग्रेजुएशन की एक सीट 8-8 करोड़ रुपए में बिकती थी. अगर PG में किसी की रेडियोलॉजी में जाना हो तो यह सीट 12 से 13 करोड़ में बिकती थी." स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया कि अगर सदन में कोई मेरी बात को झुठला कर बता दे कि मैं झूठ कह रहा हूं. यह एक खुला बिजनेस बन गया था.
यह धंधा बन गया था
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि NEET आने के पहले मां-बाप के साथ बच्चे एक एग्जाम देने के लिए भुवनेश्वर जाते थे, तो दूसरे एग्जाम देने के लिए चेन्नई. तीसरे एग्जाम के लिए त्रिवेंद्रम तो चौथे के लिए उन्हें मुंबई जाना होता था. उनका पैसा और वक़्त दोनों बर्बाद होता था. एडमिशन लिस्ट आधे घंटे से 45 मिनट तक लगाकर हटा दी जाती थी. कहा जाता था कि उम्मीदवार नहीं आया, इसलिए हम अपने हिसाब से दाखिला दे रहे हैं. यह धंधा बन गया था. स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि आपको एक राज्य में भेज दें, जिसके बारे में आप को कुछ नहीं पता, वहां मेडिकल एजुकेशन में क्या चल रहा है, उसके बारे में आपको क्या पता लगेगा? एक राज्य का छात्र दूसरे राज्य में क्या देखेगा कि मेरी लिस्ट लगी है या नहीं?
आज 13 भारतीय भाषाओं में यह टेस्ट हो रहा है
मुझे खुशी है कि जो नीट (NEET) के 154 शहरों में जो एग्जाम होते थे, आज वे परीक्षाएं देश के 571 शहरों में हो रही हैं. आज 4,750 सेंटर्स पर एग्जाम लिए जा रहे हैं. जेपी नड्डा ने कहा कि 2019 से 2024 के बीच OBC कैटेगरी में 102 प्रतिशत, एसटी की 93.5 प्रतिशत और एससी में 78.8 प्रतिशत सीटों की बढ़ोतरी हुई है. जेपी नड्डा ने कहा कि हमने मलयालम, तेलुगू, तमिल, कन्नड़ भाषाओं में टेस्ट शुरू किया है. आज कुल मिलाकर 13 भारतीय भाषाओं में यह टेस्ट हो रहा है. इसके नतीजे में आज सरकारी स्कूल का बच्चा मेडिकल एजुकेशन में आ रहा है. पहले मेडिकल एजुकेशन प्रिविलेज क्लास की पढाई थी. आज केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली तक का बच्चा नीट पास कर रहा है, क्योंकि वह अपनी भाषा में मेडिकल की परीक्षा दे रहा है.