INS Vikrant: भारतीय नेवी को मिला INS Vikrant युद्धपोत, जानें इसकी खास बातें
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INS Vikrant: भारतीय नेवी को मिला INS Vikrant युद्धपोत, जानें इसकी खास बातें

INS Vikrant: PM मोदी ने युद्धपोत INS Vikrant को भारतीय नौवी को सौंप दिया है. खास बात यह है कि यह विमानवाहक युद्धपोत स्वदेशी है. इससे भारतीय नैवी और मजबूत हो जाएगी.

INS Vikrant: भारतीय नेवी को मिला INS Vikrant युद्धपोत, जानें इसकी खास बातें

INS Vikrant: हर देश की शान होती है वहां की सुरक्षा व्यवस्था. हर देश अपने पास जल, थल और वायु सेना रखते हैं. इनकी मजबूती देश की पहली प्राथमिकता होती है. इसी को मद्देनजर रखते हुए आज पीएम मोदी ने भारतीय नैवी को विमानवाहक युद्धपोत सौंप दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में इसे सुबह इंडियन नेवी को सौंप दिया. 

INS Vikrant में क्या है खास?

INS Vikrant की सबसे  खास बात यह है कि यह युद्धपोत स्वदेशी है. इस पर एक वक्त में 30 एयरक्राफ्ट तैनात हो सकते हैं. इससे Kamov 31 हेलिकप्टर उड़ान भर सकता है. इस युद्धपोत से मिग 29K फाइटर जेट भी उड़ान भर सकता है. इसका वजन 45000 टन है. INS Vikrant की लंबाई 262 मीटर और इसकी चौड़ाई 62 मीटर है. 

कहां बना है युद्धपोत? 

INS Vikrant का डिजाइन भारतीय नौसेना के वॉरशशिप डिजाइन ब्योरो ने तैयार किया है. इसे कोचीन शिपयार्ड ने बनाया है. जहाज पर एक साथ 1700 लोग काम कर सकते हैं. जहाज के अंदर 2300 कंपार्टमेंट हैं. इसके अंदर जाते ही आप ये पता नहीं लगा पाएंगे कि यह एक ही जहाज है या इसमें कई जहाज हैं. यह जहाज इतना लंबा, चौड़ा और भारी है कि समुद्र की तेज लहरें इस पर कुछ खास असर नहीं डाल सकती हैं. 

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खास हैं इंतेजाम 

जहाज में चौडे़ रास्ते हैं. चौड़ी सीढ़ियां हैं. इसलिए इसमें से गुजरना बहुत आसान है. इसमें खास तरह के एयरकंडीशनर लगे हैं. जो बाहर की गर्मी को अंदर की तरफ नहीं आने देते हैं. यह जहाज अब तक का भारत का सबसे बड़ा जहाज है. इसका नाम पहले युद्धपोत विक्रांत के नाम पर दिया गया है.

ब्रिटेन से खरीदा गया पहला विमान 

भारत का पहला युद्धपोत विक्रांत ब्रिटेन से खरीदा गया था. इसे साल 1961 में भारतीय नैवी में शामिल किया गया. इसे 36 साल बाद साल 1997 में डिकमीशन किया गया. इसने साल 1971 की लड़ाई में अहम रोल अदा किया.

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