Urdu Sher: उर्दू जबान पर उर्दू के शायरों ने अपनी कलम चलाई है. आलमी यौम-ए-उर्दू पर हम पेश कर रहे हैं उर्दू शायरों के कहे हुए बेहतरीन शेर.
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Urdu Sher: हर साल भारत में 9 नवम्बर को विश्व उर्दू दिवस (आलमी यौम-ए-उर्दू) मनाया जाता है. इसी दिन उर्दू के मशहूर शायर मुहम्मद इक़बाल की पैदाइश का दिन भी मनाया जाता है. इस दिन उर्दू जबान के लिए कई प्रोग्राम, सेमिनार, सिम्पोज़ियम और मुशायरे का आयोजन किया जाता है. आइए उर्दू दिवस पर पर पढ़ते हैं उर्दू पर कुछ मशहूर शेर.
जो दिल बाँधे वो जादू जानता है
मिरा महबूब उर्दू जानता है
अनीस देहलवी
बात करने का हसीं तौर-तरीक़ा सीखा
हम ने उर्दू के बहाने से सलीक़ा सीखा
मनीश शुक्ला
वो करे बात तो हर लफ़्ज़ से ख़ुश्बू आए
ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आए
अहमद वसी
उर्दू है जिस का नाम हमीं जानते हैं 'दाग़'
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है
दाग़ देहलवी
नहीं खेल ऐ 'दाग़' यारों से कह दो
कि आती है उर्दू ज़बाँ आते आते
दाग़ देहलवी
सगी बहनों का जो रिश्ता है उर्दू और हिन्दी में
कहीं दुनिया की दो ज़िंदा ज़बानों में नहीं मिलता
मुनव्वर राना
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से
सदा अम्बालवी
मिरे बच्चों में सारी आदतें मौजूद हैं मेरी
तो फिर इन बद-नसीबों को न क्यूँ उर्दू ज़बाँ आई
मुनव्वर राना
उर्दू जिसे कहते हैं तहज़ीब का चश्मा है
वो शख़्स मोहज़्ज़ब है जिस को ये ज़बाँ आई
रविश सिद्दीक़ी
अजब लहजा है उस की गुफ़्तुगू का
ग़ज़ल जैसी ज़बाँ वो बोलता है
नामालूम
वो उर्दू का मुसाफ़िर है यही पहचान है उस की
जिधर से भी गुज़रता है सलीक़ा छोड़ जाता है
नामालूम
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं
अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं
नामालूम