इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक को लेकर पूर्व CEC S.Y Quraishi ने बताये इसके फायदे; इस तरह बचेगा लोकतंत्र
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इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक को लेकर पूर्व CEC S.Y Quraishi ने बताये इसके फायदे; इस तरह बचेगा लोकतंत्र

S.Y Qureshi on Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए इस पॉलिसी को रद्द कर दिया है. इस बीच इलेक्शन कमीशन के पूर्व मुख्य इलेक्शन कमिश्नर (CEC) एस. वाई कुरैशी ने बड़ा बयान दिया है.

इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक को लेकर पूर्व CEC S.Y Quraishi ने बताये इसके फायदे; इस तरह बचेगा लोकतंत्र

S.Y Qureshi on Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए इस पॉलिसी को रद्द कर दिया है. इस बीच इलेक्शन कमीशन के पूर्व मुख्य इलेक्शन कमिश्नर (CEC) एस. वाई कुरैशी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला  लोकतंत्र लिए एक बड़ा वरदान हैं. 

क्या है पूरा मामला
दरअसल, भारत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड बैन कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना संविधान के तहत प्रदत्त सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करती है. न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक को इलेक्शन कमीशन को राजनीतिक फंडिंग के लिए छह साल पुरानी योजना में चंदा देने वालों के नामों का खुलासा करने का भी आदेश दिया. 

कुरैशी ने क्या कहा?
इस पर कुरैशी ने न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘इससे लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बहाल होगा. यह सबसे बड़ी बात है, जो हो सकती थी. यह पिछले पांच-सात सालों में सुप्रीम कोर्ट से हमें मिला सबसे ऐतिहासिक फैसला है. यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा वरदान है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी पिछले कई सालों से चिंतित थे. लोकतंत्र को चाहने वाला हर कोई इसका विरोध कर रहा था. मैंने खुद कई लेख लिखे, कई बार मीडिया से बात की और हमने जो भी मुद्दा उठाया, फैसले में उसका निपटारा किया गया है.’’ 

सुप्रीम कोर्ट की सराहना
पूर्व सीईसी ने इस महत्वपूर्ण फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट की सराहना करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट भी डाला. उन्होंने लिखा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के जरिए चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित किया गया. SC को शुभकामनाएं!’’ सरकार के जरिए दो जनवरी, 2018 को अधिसूचित इस योजना को राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने की कोशिशों के तहत दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. कुरैशी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना ठीक है कि चंदा बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से हो, लेकिन हमारा तर्क यह था कि किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे को गुप्त क्यों रखा जाना चाहिए?

उन्होंने कहा, ‘‘दाता गोपनीयता चाहता है, लेकिन जनता पारदर्शिता चाहती है. अब दानकर्ता को गोपनीयता क्यों चाहिए? क्योंकि वे बदले में मिलने वाले लाभ, लाइसेंस, अनुबंध और यहां तक कि उस बैंक ऋण को भी छिपाना चाहते हैं, जिसे मिलने के बाद वे विदेश भाग जाते हैं. क्या इसीलिए वे गोपनीयता चाहते थे?’’ उन्होंने कहा, ‘‘और सरकार दानदाताओं की गोपनीयता बनाये रखने की कोशिश कर रही थी. वही दानकर्ता, जो 70 सालों से चंदा दे रहे हैं. अचानक गोपनीयता की जरूरत (क्यों) पड़ने लगी, तो अब उसे ख़त्म कर दिया गया है. मुझे लगता है कि यह हमारे लोकतंत्र को एक बार फिर स्वस्थ बनाएगा.’’ 

उन्होंने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छी बात हो सकती है. कुरैशी ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि अदालत ने आदेश दिया है कि पिछले दो-तीन सालों में प्राप्त सभी चंदा वापस कर दिया जाएगा और उनका खुलासा राष्ट्र के सामने किया जाएगा. इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या बदले में कुछ हुआ था, क्या वहां कोई दानदाता था, जिस पर संदिग्ध दबाव रहे हों. इस फैसले से बहुत सी चीजें सामने आएंगी. एक शब्द में, यह एक 'ऐतिहासिक' फैसला है.’’ यह पूछे जाने पर कि इसका आगामी आम चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने कहा कि इसका ‘‘पर्याप्त रूप से प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पूरी तरह नहीं.’’ 

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