असम में सफीकुल का तोड़ा गया था घर; अब दोषी अफसरों पर कार्रवाई कर सरकार देगी मुआवजा
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असम में सफीकुल का तोड़ा गया था घर; अब दोषी अफसरों पर कार्रवाई कर सरकार देगी मुआवजा

पिछले साल मई में असम के नौगांव में एक मछली कारोबारी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद भड़की हिंसा में उसके परिजनों ने थाने में आग लगा दी, जिसके बाद प्रशासन ने उनके घरों पर बुल्डोजर चला दिया था. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए दोषी अफसरों पर कार्रवाई और पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया है. 

अलामती तस्वीर

गुवाहाटी / शरीफ उद्दीन अहमद: असम के नौगांव जिले में पुलिस हिरासत में मछली कारोबारी की हुई मौत के बाद थाने में आगजनी की घटना में शामिल लोगों के घर तोड़े जाने पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ऐक्शन लिया है. इस मामले में कोर्ट ने खुद घटना का संज्ञान लिया था और हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट जुनैद खालिद ने भी इसे लेकर हाईकोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी. मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से इस मामले की जांच कर 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में दोषी पाए जाने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने और पीड़ितों को घर बनाकर देने का आदेश दिया है. कोर्ट में सरकार ने दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने और पीड़ित पक्षों को मुआवजा देने का भरोसा दिलाया है.  

थाने में आग लगाने के 24 घंटे के अंदर तोड़ दिए थे 5 मकान 
गौरतलब है कि पिछले साल 21 मई को कथित तौर पर पुलिस हिरासत में सफीकुल इस्लाम नाम के एक शख्स की मौत के बाद बटाद्रवा पुलिस थाने में मृतक के परिजनों ने आग लगा दी थी. इस मामले में पांच लोगों की पहचान करके प्रशासन ने थाने में आग लगाने की घटना के 24 घंटों के अंदर ही बुल्डोजर से मृतक सहित अन्य आरोपियों के घरों को तोड़ दिया था. मृतक के परिजनों ने ये आरोप लगाया था कि पुलिस को रिश्वत देने में विफल रहने के कारण सफीकुल इस्लाम को यातना देकर थाने में मार डाला गया था. वहीं, पुलिस का कहना था कि उसे नशे की हालत में उठाया गया था और बाद में औपचारिकताओं के बाद रिहा कर दिया गया था. पुलिस ने ये भी दावा किया था कि जाली दस्तावेजों का उपयोग करके इस्लाम ने सरकारी भूमि पर अवैध रूप से घर बनाए थे, जिसे तोड़ दिया गया था. पुलिस ने मृतक इस्लाम पर नशीली दवाओं के कारोबार और अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के भी आरोप लगाए थे, जो कोर्ट में टिक नहीं पाए. 

कोर्ट ने कहा था कि ऐसा तो फिल्मों में भी नहीं होता है 
उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में इस तरह की कार्रवाई को अवैध करार देते हुए पुलिस विभाग की खिंचाई की थी. 17 नवंबर को उच्च न्यायालय ने नागांव पुलिस को घरों को गिराने के लिए फटकार लगाई थी और कहा था कि हिंदी फिल्में भी इस तरह की कार्रवाई करते समय प्रक्रिया का पालन करती हैं. कोर्ट ने कहा था कि मुझे किसी भी आपराधिक न्यायशास्त्र से दिखाओ कि पुलिस किसी अपराध की जांच के लिए बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति का घर गिरा सकती है या उसपर बुलडोजर चला सकती है? मुख्य न्यायाधीश छाया ने कहा था, "एसपी को एक घर खोदने या बुलडोजर चलाने के लिए अनुमति की जरूरत होती है. केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के प्रमुख हैं, वे किसी का घर नहीं तोड़ सकते.” 

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