बात साल 1975 की है. जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था और इसी दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लाखों लोगों की नसबंदी कराने के कथित निर्देश दिए थे.
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नई दिल्ली: इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और 70 की दहाई में गांधी परिवार के सियासी वारिस रहे संजय गांधी का आज जन्मदिन है. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में संजय गांधी काफी ताकतवर हुआ करते थे. संजय गांधी की छवि सख्त फैसले लेने वाले नेता को तौर पर रही है. इमरजेंसी के दौरान लिए गए उनके कुछ फैसलों को आज भी याद किया जाता है और उनकी सख्त निंदा की जाती है. कहा यह भी जाता है कि उनके सख्त फैसलों की वजह से ही कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.
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बात साल 1975 की है. जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था और इसी दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लाखों लोगों की नसबंदी कराने के कथित निर्देश दिए थे. इस फैसले की वजह करीब सैंकड़ों लोग अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी. सरकार के इस ऑपरेशन के बाद अपोज़िशन पार्टियों ने एक नारा भी दिया था,"जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मर्द गया नसबंदी में."
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कहा यह भी जाता है कि रुखसाना सुल्ताना नाम की महिला संजय गांधी की खास मानी जाती थीं. रुखसाना बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान की सास और उनकी पहली पत्नी अमृता सिंह की मां थीं. सुल्ताना ने पुरानी दिल्ली के संवेदनशील मुस्लिम इलाकों में हज़ारों की तादाद में नसबंदियां करवाईं. नसबंदी के लिए जगह जगह कैंप लगाए जाते थे और जिस शख्स की नसबंदी होती थी उसको ईनाम के तौर पर कुछ रुपये, एक दिन की काम से छुट्टी और घी दिया जाता था.
इस जालिमाना फैसले के पीछे का कारण जनसंख्या को कंट्रोल करना बताया गया लेकिन नसबंदी के नाम पर लोगों का जमकर उत्पीड़न हुआ था और इसका विरोध करने वालों पर खूब जुल्म किये गए. नसबंदी से बचने के लिए लोग उस वक्त छिपते फिरते थे और घरों से बाहर शौच के लिए जाने से भी डरने लगे थे.
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अपने ऐसे ही फैसलों के चलते संजय गांधी अक्सर विरोधियों के निशाने पर रहते थे. संजय के बारे में कुछ बातों पर ज्यादा लोग सहमत हैं. उनमें से एक यह भी मुखर थे. वक्त के बड़े पाबंद थे मगर एक बार कुछ ठान लेते तो किसी के लाख समझाने पर भी नहीं सुनते थे. संजय गांधी को कारों और विमानों का बहुत शौक था. कॉलेज छोड़कर रॉल्स रॉयस के साथ इंटर्नशिप करने वाले संजय जब लौटकर आए तो भारतीय माहौल के हिसाब से एक कार बनाने की भी सोची थी.
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