SC on Bulldozer: "कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा", सुप्रीम कोर्ट ने फिर की बुलडोजर कल्चर पर टिप्पणी
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SC on Bulldozer: "कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा", सुप्रीम कोर्ट ने फिर की बुलडोजर कल्चर पर टिप्पणी

SC on Bulldozer: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कल्चर पर टिप्पणी की है और कहा है कि ऐसे देश में यह बिलकुल सही नहीं है जहां, कानून से फैसला होता है. इसके साथ ही कोर्ट ने गुजरात के एक मामले में अधिकारियों से सफाई मांगी है.

SC on Bulldozer: "कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा", सुप्रीम कोर्ट ने फिर की बुलडोजर कल्चर पर टिप्पणी

SC on Bulldozer: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बार फिर देश में "बुलडोजर न्याय" की आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे देश में जहां कानून सर्वोच्च है, इस तरह की विध्वंस की धमकियां अकल्पनीय हैं. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि अदालत उन कामों से बेखबर नहीं रह सकती, जिन्हें “देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने” के तौर पर देखा जा सकता है.

बुल्डोज़र एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने यह टिप्पणी गुजरात के खेडा के एक मामले में की है. जहां परिवार के एक समदस्य की अपराध में संलिप्तता होने पर उनका पैतृक गांव ध्वस्त करने की कोशिश की गई. याचिकाकर्ता जावेदअली महबूबमिया सैयद ने दावा किया कि कठलाल नगर पालिका ने 6 सितंबर को मकान ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया था - यौन उत्पीड़न और हमले के आरोप में उनके भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इसके चार दिन बाद यह नोटिस जारी हुआ था.

आपको नहीं है घर तोड़ने का अधिकार

अपनी याचिका में सैयद ने तर्क दिया कि इस तोड़-फोड़ का मकसद परिवार के एक सदस्य पर लगाए गए आपराधिक आरोपों के लिए पूरे परिवार को दंडित करना था. गुरुवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अपराध में कथित संलिप्तता संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं है.

कोर्ट ने कहा,"ऐसे देश में जहां राज्य की कार्रवाइयां कानून के शासन के जरिए चलाई जाती हैं, वहां परिवार के किसी मेंबर के जरिए किया गया अपराध परिवार के अन्य सदस्यों या उनके कानूनी रूप से निर्मित आवास के विरुद्ध कार्रवाई को आमंत्रित नहीं कर सकता. अपराध में कथित संलिप्तता किसी संपत्ति के विध्वंस का आधार नहीं है."

देश के कानून पर बुल्डोज़र चलाने जैसा

कोर्ट ने आगे कहा,"इसके अलावा, कथित अपराध को न्यायालय में उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से साबित किया जाना चाहिए. न्यायालय ऐसे विध्वंस की धमकियों से बेखबर नहीं रह सकता, जो ऐसे राष्ट्र में अकल्पनीय है, जहां कानून सर्वोच्च है. अन्यथा, ऐसी कार्रवाइयों को देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने के रूप में देखा जा सकता है."

अधिकारियों से जवाब मांगा

कोर्ट ने तोड़फोड़ पर रोक लगा दी है और अधिकारियों से एस एक्शन पर सफाई मांगी है. बता दें, बीजेपी शासित राज्यों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां परिवार के एक शख्स के अपराध करने पर पूरे मकान तोड़ दिए गए. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले भी टिप्पणी भी कर चुका है. 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह पूरे भारत में तोड़फोड़ को कंट्रोल करने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा.

न्यायमूर्ति भूषण आर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल उठाया कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप होने पर उसका घर कैसे गिराया जा सकता है. पीठ ने कहा कि उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना दोषसिद्धि भी ऐसी कार्रवाई को उचित नहीं ठहराती.

असम में प्रदर्शन कर रहे गोलाबारी

असम में हेमंत बिस्वा शर्मा सरकार की पुलिस ने बुल्डोजर एक्शन के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे लोगों पर फायरिंग की. इस अंधाधुन फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही दर्जन भर लोग घायल हुए. 

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