बेंच ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट के तौर पर हम अभिजात्यवादी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहेंगे कि सड़कों पर कोई भी भिखारी नहीं होना चाहिए."
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनजर भिखारियों और आवारा लोगों के पुनर्वास और टीकाकरण का आग्रह करने वाली अर्जी पर मंगलवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह ‘अभिजात्यवादी नजरिया’ नहीं अपनाएगी कि सड़कों पर भिखारी नहीं होने चाहिए क्योंकि यह एक सामाजिक आर्थिक समस्या है.
अदालत ने इस मामले में सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता से मदद करने की गुजारिश की है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने कहा कि शिक्षा और रोजगार की कमी की वजह से आजीविका की कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग आमतौर पर सड़कों पर भीख मांगने पर मजबूर होते हैं.
बेंच ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट के तौर पर हम अभिजात्यवादी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहेंगे कि सड़कों पर कोई भी भिखारी नहीं होना चाहिए." अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में जवाब मांगा है. याचिका में महामारी के बीच भिखारियों और आवारा लोगों के पुनर्वास, उनके टीकाकरण और उन्हें आश्रय और भोजन उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है.
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